Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

उत्तराखंड में बागेश्वर के कुंवारी में भूस्खलन, नदी का प्रवाह रुकने से बनी झील से मंडरा रहा खतरा

हमें फॉलो करें उत्तराखंड में बागेश्वर के कुंवारी में भूस्खलन, नदी का प्रवाह रुकने से बनी झील से मंडरा रहा खतरा

एन. पांडेय

, सोमवार, 27 जून 2022 (21:39 IST)
बागेश्वर। उत्तराखंड के सीमांत जिले बागेश्वर में शंभू नदी का प्रवाह भूस्खलन से नदी में गिरे मलबे के रुकने की खबरों से प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। शंभू नदी का प्रवाह रुकने से वहां एक झील बनने की भी खबरें हैं। दूरस्थ इलाके में हुई इस घटना के बाबत ग्रामीणों का कहना है कि भूस्खलन के कारण मलबा और बोल्डर गिरने से झील बनी है। अगर झील टूटी तो चमोली जिले का बड़ा भू-भाग नुकसान की जद में आ सकता है।
 
बागेश्वर जिले के अंतिम गांव कुंवारी से करीब 2 किमी आगे भूस्खलन के मलबे से शंभू नदी में मलबा जमा होने से नदी के प्रवाह में बाधा आने से यह झील बन गई है। बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील के गांव कुंवारी की पहाड़ी से समय-समय पर भूस्खलन होता रहता है। वर्ष 2013 में भी भूस्खलन के कारण गांव की तलहटी पर बहने वाली शंभू नदी में झील बन गई थी। बारिश में नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी में जमा मलबा बह गया और खतरा टल गया था।
 
वर्ष 2018 में एक बार ऐसे ही हालात बने। नदी में भारी मात्रा में मलबा जमा होने के बाद फिर से झील आकार लेने लगी। गांव के लोग कहते हैं कि तब से झील का आकार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में झील करीब 500 मीटर लंबी और 50 मीटर चौड़ी हो चुकी है। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि झील की लंबाई उससे कहीं अधिक हो सकती है। इसकी गहराई की किसी को जानकारी नहीं है।
 
शंभू नदी बोरबलड़ा गांव के समीप शंभू ग्लेशियर से निकलती है। नदी कुंवारी गांव से करीब 5 किमी आगे पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर नदी में मिल जाती है। ग्रामीणों के अनुसार झील बोरबलड़ा के तोक भराकांडे से करीब 4 किमी और कुंवारी गांव की तलहटी से करीब 2 किमी दूर कालभ्योड़ नामक स्थान पर बनी है, जहां से करीब 4 किमी आगे जाकर शंभू नदी पिंडर में मिल जाती है।

webdunia
 
ग्रामीण लगातार यह चेतावनी दे रहे हैं कि शंभू नदी में बनी झील टूटी तो भारी मात्रा में पानी और मलबा बहेगा, जो आगे जाकर पिंडर में मिलकर और शक्तिशाली बन जाएगा। पिंडर चमोली जिले के थराली, नारायणबगड़ से होते हुए कर्णप्रयाग में अलकनंदा में जाकर मिलती है। ऐसे में अगर झील टूटी तो चमोली जिले का बड़ा भू-भाग नुकसान की जद में आ सकता है।
 
कपकोट के एसडीएम परितोष वर्मा के अनुसार झील निर्माण की जानकारी नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे करने आई यूसेक की टीम को होने के बाद टीम ने प्रशासन को यह सूचना दी थी। इसके बाद रविवार को तहसीलदार पूजा शर्मा के नेतृत्व में सिंचाई, लोनिवि, पीएमजीएसवाई, आपदा प्रबंधन आदि विभागों की टीम शंभू नदी का निरीक्षण कर लौट आई है। टीम ने अपनी रिपोर्ट सोमवार को डीएम को सौंपी दी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मेरठ में सिलेंडर फटने से मकान धराशायी, 1 की मौत, 2 गंभीर