Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

'चिल्लेकलां' से चिल्लाई कश्मीर घाटी

हमें फॉलो करें 'चिल्लेकलां' से चिल्लाई कश्मीर घाटी
webdunia

सुरेश डुग्गर

श्रीनगर। कश्मीरियों के लिए समय चक्र बदलने लगा है। माना कि आतंकवादी गतिविधियों से उन्हें फिलहाल पूरी तरह से निजात नहीं मिल पाई है लेकिन कुदरत के बदलते चक्र ने उनकी झोली खुशियों से भरनी आरंभ कर दी है। यही कारण है कि कश्मीर में चिल्लेकलां के पूरे अरसे में कश्मीर घाटी चिल्ला भी उठी है क्योंकि चिल्लेकलां की शुरुआत भयानक सर्दी से हुई और अंत भयानक बर्फबारी के कारण हुआ है।
 
कश्मीर में 21 और 22 दिसम्बर की रात से सर्दी के मौसम की शुरुआत मानी जाती है। करीब 40 दिनों तक के मौसम को चिल्लेकलां कहा जाता है। नतीजतन कुदरत का समय चक्र सुधरा तो कश्मीरियों की परेशानियां बढ़ गई क्योंकि पिछले कई सालों से बर्फबारी के समय पर न होने के कारण वे चिल्लेकलां को ही भुला बैठे थे।
 
चिल्लेकलां करीब 40 दिनों तक चलता है और उसके बाद चिल्ले खुर्द और फिर चिल्ले बच्चा का मौसम आ जाता है। अभी तक चिल्लेकलां के दौरान 1986 में कश्मीर में तापमान शून्य ये 9 डिग्री नीचे गया था जब विश्व प्रसिद्ध डल झील दूसरी बार जम गई थी। वैसे चिल्लेकलां के दौरान कश्मीर के तापमान में जो गिरावट देखी गई है उसके मुताबिक तापमान शून्य से 5 व 7 डिग्री ही नीचे जाता है।
 
हालांकि समय चक्र के सुधार से कश्मीर में पानी की किल्लत और बिजली की कमी जैसी परेशानियों से निजात मिलने की उम्मीद तो जगी है लेकिन फिलहाल कश्मीरी परेशानियों के दौर से गुजरने को मजबूर इसलिए हुए हैं क्योंकि पिछले कई दिनों से मौसम के खराब रहने के कारण राजमार्ग के बार-बार बंद रहने का परिणाम यह है कि कश्मीरियों को चिंता इस बात की है कि उन्हें खाने पीने की वस्तुओं की भारी कमी का सामना किसी भी समय करना पड़ सकता है।
 
पहले चिल्लेकलां के शुरू होने से पहले ही कश्मीरी सब्जियों को सुखाकर तथा अन्य चीजों का भंडारण कर लेते थे मगर कई सालों से मौसम चक्र के गड़बड़ रहने के कारण वे इसे भुला बैठे थे। और अब तो राजमार्ग के बार-बार बंद होने से घाटी में रोजमर्रा की वस्तुओं की आपूर्ति समय पर न होने के कारण उन्हें कई बार महंगे दामों पर खाने-पीने की वस्तुएं खरीदनी पड़ती हैं।
 
फिलहाल सर्दी से कोई राहत भी नहीं मिल पा रही है। अनुमान इस बार का यह है कि सर्दी अपना भयानक रूप दिखा सकती है। वैसे भी कुछ सालों से मौसम की पश्चिमी गड़बड़ियों के कारण कश्मीर कभी बर्फीले सुनामी के दौर से गुजरता है तो कभी बाढ़ से कश्मीरियों को सामना करना पड़ रहा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के मुख्य बिंदु