जम्मू। कश्मीर में इस बार नववर्ष की खुशियों पर कट्टरपंथियों की बंदिशों का डेरा लगने लगा है। यही नहीं, इसमें राज्य की ट्रैफिक पुलिस ने भी अपना तड़का लगाया है। जम्मू व श्रीनगर नगरपालिकाएं भी बंदिशें लगाने में पीछे नहीं हैं।
कश्मीर में अपनी दुकानें चला रहे कट्टरपंथियों ने कश्मीरियों से 31 दिसंबर और नववर्ष की खुशियों से नाता तोड़ने के लिए कहा है। कश्मीर के मीरवायज मौलवी उमर फारुक के अतिरिक्त दुख्तराने मिल्लत तथा सिविल सोसायटी की ओर से यह चेतावनी जारी की गई है।
इन कट्टरपंथियों ने कश्मीरी मुस्लिमों से कहा है कि 31 दिसंबर या नववर्ष की खुशियां मनाना गैरइस्लामिक तथा अनैतिक हैं। मीरवायज मौलवी उमर फारुक कहते थे कि इस्लाम के मुताबिक नए साल की शुरुआत मुहर्रम से होती है, न कि जनवरी से। वे कहते थे कि ऐसे में जबकि कश्मीरियों का खून बह रहा है, तो लोग खुशियां कैसे मना सकते हैं?
अभी तक समाज सुधारों की मुहिम महिला आतंकी गुट दुख्तराने मिल्लत द्वारा छेड़ी जाती रही थी लेकिन इस बार अन्य अलगाववादी नेता भी इसमें उतर गए हैं। इन नेताओं ने होटलों और रेस्तरांओं के मालिकों को भी इसके प्रति चेतावनी जारी कर उनके लिए खासी परेशानी पैदा कर दी है। फिलहाल पुलिस का कहना है कि वे 31 दिसंबर की शाम को सुरक्षित बनाने की खातिर पुख्ता प्रबंधों में जुटी हुई है।
पर मजेदार बात यह है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक नया फरमान जारी कर 31 दिसंबर मनाने वालों के लिए नई परेशानी पैदा कर दी है। यह फरमान उन होटलों, क्लबों और रेस्तरांओं को जारी किया गया है, जो 31 दिसंबर को अपने मेहमानों को शराब परोसेंगे और ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों का कहना था कि इन आयोजकों को पीने वाले वाहन चालकों को उनके घरों तक सुरक्षित छोड़ने की जिम्मेदारी उठानी होगी।
31 दिसंबर की खुशियों में खलल यहीं समाप्त नहीं हो जाता। जम्मू तथा श्रीनगर नगरपालिकाओं ने 31 दिसंबर की शाम को कार्यक्रम आयोजित करने वालों से कहा है कि वे नगर पालिकाओं से पहले इसकी अनुमति प्राप्त करें और उसके बाद ही कार्यक्रम को रखें। नतीजतन 31 दिसंबर की शाम की खुशियों में रंग में भंग पड़ता हुआ नजर आने लगा है।