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मीरवायज और लोन की बरसी पर बंद रहा कश्मीर

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सुरेश एस डुग्गर

जम्मू। श्रीनगर के कुछ हिस्सों में सोमवार को प्रशासन ने अलगाववादियों द्वारा आहूत मार्च को रोकने के लिए प्रतिबंध लगा दिए गए थे। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को तैनात किया गया था और सोमवार की निर्धारित सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया था क्योंकि अलगाववादियों ने मीरवाइज मौलाना मुहम्मद फारूक और अब्दुल गनी लोन के निधन की सालगिरह मनाने के लिए यहां ईदगाह मैदानों तक मार्च का आहृवान किया था।
 
मरहूम नेताओं की बरसी पर जेआरएल की हड़ताल के चलते पूरी घाटी में जनजीवन प्रभावित रहा। कारोबारी प्रतिष्ठान, स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान बंद रहे, जबकि घाटी के अधिकतर हिस्सों में सड़कों से सार्वजनिक परिवहन नदारद रहा।
 
अलगाववादी हुर्रियत नेता सईद अली शाह गिलानी को भी हैदरपोरा स्थित उनके आवास में नजरबंद रखा गया था। जबकि जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को ऐहतियातन हिरासत में रखा गया है। जम्मू कश्मीर के श्रीनगर शहर में मीरवाइज मोहम्मद फारूक और अब्दुल गनी लोन की बरसी मनाने के लिए ईदगाह तक रैली निकालने की अलगाववादियों की योजना को विफल करने के लिए प्रशासन ने पाबंदियां लगाई थीं।
 
पुराने शहर में नौहट्टा, खानयार, रैनावाड़ी, एमआर गंज और सफा कदल में प्रतिबंध लगाए गए थे, जबकि अन्य इलाकों मैसूमा और क्रालखद में आंशिक प्रतिबंध लगाए गए थे। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियाती उपाय के तौर पर पुराने शहर के पांच थाना क्षेत्रों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पाबंदियां लगाई गई थीं। 
 
कानून और व्यवस्था बनाए रखने और प्रतिबंधों को लागू करने के लिए पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के दल तैनात किए गए हैं। ईदगाह पर अलगाववादियों को रैली निकालने से रोकने के लिए सफाकदल, रैनावाड़ी, नौहट्टा, एमआर गुंड और खानयार थानों में बड़ी संख्या में पुलिस और अर्द्धसैनिक कर्मियों को तैनात किया गया था।
 
कश्मीर विश्वविद्यालय व इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की सोमवार को निर्धारित परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया था। याद रहे मीरवाइज मौलाना मुहम्मद फारूक की अज्ञात बंदूकधारियों ने 21 मई 1990 और अब्दुल गनी लोन की 21 मई 2002 को हत्या कर दी गई थी। दिवंगत मीरवाइज फारूक के बेटे मीरवाइज उमर फारूक को उनके आवास में नजरबंद रखा गया था। 

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