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खतरनाक AES, मच्छरों का बच्चों के दिमाग पर हमला...

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अवनीश कुमार

, शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018 (20:02 IST)
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों का कहर बढ़ता ही जा रहा है। मच्छर मासूम बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं और उनके दिमाग पर सीधा असर डाल रहे हैं। इससे उनका जीवन भी खतरे में पड़ जाता है। 
 
कानपुर के डॉक्टर इसकी मुख्य वजह ग्रामीण क्षेत्र में बैठने वाले झोलाछाप डॉक्टरों को मान रहे हैं। उनका मानना है कि एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) बीमारी से पीड़ित मरीजों को सही समय पर सही इलाज मिल जाए तो कोई खतरा नहीं होता, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोग मरीज की गांव में बैठने वाले डॉक्टरों से ही दवा करवाने लगते हैं, जिससे कई बार मरीज की स्थिति बेहद बिगड़ जाती है। हालत बिगड़ने पर मरीज को लेकर शहर की तरफ भागते हैं, तब तक काफी देर भी हो चुकी होती है, लेकिन अगर सही समय रहते ऐसे मरीजों को सही इलाज मिल जाए तो इन्हें बचाया जा सकता है। 
 
एईएस के लक्षण : डॉक्टरों ने एईएस के लक्षण बताते हुए कहा है कि अगर अचानक तेज बुखार, सिर में तेज दर्द, शरीर में जकड़न, सुस्ती और कभी-कभी बच्चा बेहोश भी हो जाता है, झटके आने लगते हैं। यही सब लक्षण इस बीमारी के हैं। ऐसे में मरीज को तत्काल सही इलाज की जरूरत होती है। 
 
इस समय कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट में ऐसे तमाम मासूम मरीज बाल रोग विभाग में भर्ती हैं जो कि एईएस से पीड़ित हैं। वर्तमान में बाल रोग चिकित्सालय में 90 बेड पर 110 बच्चे इलाज करा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर को दिमाग में संक्रमण की समस्या है। झटके भी आ रहे हैं। वहीं एसएनसीयू में 25 बेड की क्षमता के मुकाबले 76 बच्चे भर्ती हैं, जो कि बुखार व अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं। 
 
इस बारे में बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राय ने बताया कि एईएस नामक बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज चल रहा है जो कि काफी गंभीर स्थिति में लाए गए थे। इनमें से ज्यादातर बच्चे ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इस बीमारी का इलाज संभव है अगर सही समय पर सही इलाज मिल जाए। क्योंकि अगर इस बीमारी में सही इलाज नहीं मिलता है तो बीमारी सीधे तौर पर बच्चों के दिमाग पर हमला करती है और बच्चों का दिमाग गंभीर संक्रमण से ग्रसित हो जाता है।

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