बाल मित्र ग्राम मॉडल के तहत राज्य के 11 जिलों के अधिकारियों को बच्चों को किसी भी तरह के शोषण से मुक्त रखने के गुर सिखाने के मकसद से भोपाल में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ, Kailash Satyarthi Children's Foundation) और महिला एवं बाल विभाग के सहयोग की ओर से आयोजित की गई थी।
13 व 14 सितंबर 2022 को हुई कार्यशाला में बाल सुरक्षा योजना, बाल विकास योजना, शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों और पंचायत सदस्यों ने भाग लिया। यह कार्यशाला केएससीएफ और राज्य सरकार के महिला एवं बाल विभाग के समझौते के तहत हुई। समझौते के अनुसार केएससीएफ, बाल मित्र ग्रामों को पंचायत के जरिए विकसित करने के लिए विभाग को तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराएगा। केएससीएफ का लक्ष्य है कि वह इन 11 जिलों के 10-10 गांवों को बाल मित्र ग्राम के रूप में विकसित करे।
बाल मित्र ग्राम, कैलाश सत्यार्थी का एक अभिनव प्रयोग है। इसका लक्ष्य है कि इन गांवों को बाल श्रम, बाल विवाह, बाल यौन शोषण, बाल शोषण और ट्रैफिकिंग (दुर्व्यापार) से पूरी तरह मुक्त किया जाए। साथ ही सभी बच्चों का दाखिला स्कूलों में हो। साथ ही उनमें नेतृत्व गुण विकसित करने के लिए ही बाल पंचायत का गठन किया जाता है।
कार्यशाला में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े कानूनों, सुरक्षा से संबंधित कार्ययोजना बनाने, सरकारी योजनाओं से बच्चों को जोड़ने के बारे में जानकारी दी गई। बाल मित्र ग्राम बच्चों के विकास के लिए क्या-क्या कर रहा है, इसकी भी जानकारी दी गई।
कार्यशाला में प्रस्ताव दिया गया कि राज्य एवं जिला स्तर पर दो समितियों का गठन किया जाए, जो जिला कलेक्टर व सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर इस पूरे कार्यक्रम के सर्वोत्तम कार्यान्वयन व निगरानी करे।
राज्य के विदिशा, मुरैना, शहडोल, शिवपुरी, रतलाम, कटनी, सतना, इंदौर, नर्मदापुरम, जबलपुर और निवाड़ी जिलों के 10-10 गांवों को बाल मित्र ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा। केएससीएफ की योजना है कि आने वाले समय में राज्य के सभी 52 जिलों में बाल मित्र ग्राम का मॉडल विकसित किया जाए।
कार्यशाला के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए केएससीएफ की कार्यकारी निदेशक ज्योति माथुर ने कहा, हमारा लक्ष्य है कि बच्चों के लिए अनुकूल एवं सुरक्षित माहौल बनाया जाए, ताकि वे शिक्षा हासिल कर भविष्य में आगे बढ़ सकें। इसलिए हम बच्चों से संबंधित सरकारी व सुरक्षा एजेंसियों को और ज्यादा संवदेनशील बनाने का प्रयास कर रहे हैं।