देहरादून में होली के पांचवें दिन आयोजित होने वाले प्रसिद्ध झंडे के मेले में पिछले साल आरोहण के दौरान ध्वज दंड खंडित होने से अफरातफरी क्या मची, इस साल फिर से कोरोना का साया पड़ गया है।पिछले साल 13 मार्च को घटी इस घटना के बाद ध्वज दंड बदला गया और फिर झंडे का आरोहण किया गया। इसके बाद कोरोना का कहर बरपना शुरू हुआ तो समय से पहले झंडे का मेला समाप्त करना पड़ा, जबकि सामान्यतया झंडे का मेला रामनवमी के दिन समाप्त होता है।
इस साल फिर से मार्च माह में कोरोना मामलों में बढोतरी के चलते झंडे के मेले के लिए गाइडलाइन जारी करनी पड़ी। गाइडलाइन में कहा गया है कि झंडा साहिब के आरोहण व मेले के आयोजन के लिए जितने व्यक्तियों की आवश्यकता हो केवल उतने ही व्यक्तियों को एकत्रित किया जाए। अनावश्यक भीड़ एकत्र न की जाए।विगत वर्षों में जो दुकानें व झूला इत्यादि लगाए जाते थे, इस वर्ष पूर्णतः प्रतिबंधित रखे जाएं।
अन्य राज्य से प्रतिभाग करने वाले व्यक्तियों को RT-PCR टेस्ट कराने के बाद ही मेले में प्रवेश दिया जाए।मेले के परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं के प्रवेश से पूर्व मास्क पहनना अनिवार्य होगा। बिना मास्क पहने आने वाले यात्रियों को मास्क के बाद ही प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी।मेले में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी के दृष्टिगत गोल घेरे बनाए जाएं। झंडे के मेले के लिए पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों से संगतें आनी शुरू हो गई हैं।
श्री गुरु राम राय महाराज की जयंती पर हर साल श्री दरबार साहिब देहरादून में श्री झंडे जी मेले का आयोजन किया जाता है। श्री गुरु राम राय महाराज का जन्म पंजाब के कीरतपुर (जिला होशियारपुर) में वर्ष 1646 में होली के पांचवें दिन चैत्रवदी पंचमी पर हुआ था। तब से हर साल संगतों द्वारा देहरादून में होली के पांचवें दिन (चैत्रवदी पंचमी) ऐतिहासिक श्री झंडे जी मेले का आयोजन किया जाता है।
झंडे जी देहरादून के दरबार साहिब में स्थापित है। यहां हर साल आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ता है कि देखने वालों को आंखों पर यकीन नहीं होता। इस दरबार साहिब की स्थापना श्री गुरु राम राय जी ने की थी। औरंगजेब गुरु राम राय के काफी करीबी माने जाते थे। औरंगजेब ने ही महाराज को हिंदू पीर की उपाधि दी थी। गुरु राम राय जी ने देहरादून में आकर डेरा डाला था। तब इसे डेरा दून कहा जाता था। लेकिन बाद मे अब यह देहरादून के नाम से विश्व विख्यात हुआ। इसी जगह पर यहां दरबार साहिब बनाया गया और यहां झंडे जी की स्थापना की गई।
आपदा प्रबंधन के लिए एयर एम्बुलेंस की होगी मांग : उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत एयर एम्बुलेंस के लिए केन्द्र सरकार को जल्द प्रस्ताव भेजा जाएगा। मुक्तेश्वर में बना डॉप्लर रडार चालू हो चुका है। सुरकण्डा में बने डॉप्लर रडार को जल्द चालू किया जाए एवं लैंसडाउन में लगने वाले डॉप्लर रडार की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।
यह बात मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आपदा प्रबंधन विभाग की समीक्षा करते हुए कही।उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी मानसून सीजन के दृष्टिगत सभी तैयारियां जल्द पूर्ण कर ली जाएं। उन्होंने कहा कि चमोली के तपोवन रैणी क्षेत्र में आई आपदा में लापता लोगों के डेथ सर्टिफिकेट की कारवाई में तेजी लाई जाए। जिससे प्रभावित परिवारों को राहत राशि का भुगतान जल्द किया जा सके।
उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से उत्तराखण्ड में शोध संस्थान खोला जाएगा। राज्य में विभिन्न स्थानों पर कार्यशालाएं आयोजित कर लोगों में जागरूकता लाई जाए। न्याय पंचायत स्तर तक टीमें गठित कर आपदा प्रबंधन से संबधित सभी महत्वपूर्ण उपकरणों की किट उपलब्ध कराई जाए। सभी जिलाधिकारी ग्राम स्तर तक संपर्क सूत्र बनाए रखें। ग्राम स्तर तक के जनप्रतिनिधियों एवं कार्मिकों की लिस्ट पूरी अपडेट रखी जाए।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से दूरदराज के क्षेत्रों में और क्या प्रयास किए जा सकते हैं, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। भूकंपरोधी मकान बनाने के लिए राजमिस्त्रियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि जल्द ही देहरादून में आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। जिसमें अनेक विषय विशेषज्ञ रहेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में आपदा प्रबंधन से संबंधित एक चैप्टर शुरू किया जा रहा है।
आपदा प्रबंधन विषय पर 6 माह के सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए जा रहे हैं। महिला मंगल दल, युवक मंगल दलों एवं ग्राम प्रहरियों के भी आपदा प्रबंधन से संबंधित गढ़वाल एवं कुमायूं मंडल में सम्मेलन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि लेखपालों को मोटर बाईक एम्बुलेंस देने की योजना पर भी कार्ययोजना बनाई जा रही है। बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरूगेशन, सचिव वित्त सौजन्या, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आपदा प्रबंधन रिद्धिम अग्रवाल, आनन्द श्रीवास्तव एवं वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जिलाधिकारी उपस्थित थे।
होल्यारों के साथ झूमे पूर्व मुख्यमंत्री : पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज केंट रोड स्थित आवास में आयोजित होली कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर होल्यारों ने ढोल और वाद्य यंत्र के साथ उत्तराखंड में प्रचलित होली के गीतों के साथ शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। होल्यारों के साथ त्रिवेंद्र भी खूब झूमे।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों और देश के सभी नागरिकों को रंगो के त्योहार होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज कोरोनावायरस दोबारा तेजी से फैल रहा है, इसलिए बहुत अधिक सावधानी के साथ आम जनमानस को इस त्यौहार को मनाना चाहिए। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का स्वयंसेवी भाव और स्वयं की इच्छा से पूरा पालन करना चाहिए।
यह हम सभी की सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है, जिससे हम कोविड के संक्रमण से खुद को भी बचा सकें और समाज को भी सुरक्षित रख सकते हैं।पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश वासियों को सुरक्षित होली खेलने और पानी से जितना हो सके बचने की सलाह दी।
साथ ही साफ-सफाई रखने, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क जरूर पहनने के लिए भी सभी को सावधान किया। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना संक्रमण का दूसरा हमला काफी घातक हो सकता है, इसलिए अब ज़्यादा सतर्कता और सावधानी की ज़रूरत है, जिसका हम सभी को ध्यान रखना है।