जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद सियासी दंगल शुरू

सुरेश डुग्गर
गुरुवार, 22 नवंबर 2018 (21:46 IST)
जम्मू। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद शुरू हुआ सियासी दंगल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अगर सरकार बनाने का दावा करने वाले राजनीतिक दल राज्यपाल और भाजपा पर अलोकतांत्रिक कदम उठाने के आरोप लगा रहे हैं, तो राज्यपाल सत्यपाल मलिक सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा की खातिर विधानसभा भंग करने का कदम उठाया था।
 
 
यह सच है कि गैर-बीजेपी दलों के सरकार बनाने के प्रयास के बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर करारा झटका दिया, पर उनके फैसले की काफी आलोचना भी हो रही है। विधानसभा भंग करने के अपने फैसले पर सत्यपाल मलिक ने संवाददाता सम्मेलन बुलाकर सफाई देते हुए कहा उन्होंने किसी के साथ पक्षपात नहीं किया। साथ ही उन्होंने खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए कहा कि विधायकों को धमकाया जा रहा था। खुद पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने शिकायत की थी।
 
उन्होंने कहा कि जिस दिन से मैं पद पर नियुक्त हुआ हूं, उसी दिन से कहता आया हूं मैं राज्य में किसी ऐसी सरकार का पक्ष नहीं लूंगा जिसमें बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त हुई हो। इसके बजाय मैं चाहता हूं कि चुनाव हों और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार बने। मुझे पिछले 15 दिनों से खरीद-फरोख्त की शिकायतें मिल रही थीं कि विधायकों को धमकाया जा रहा है। महबूबाजी ने खुद ही शिकायत की थी कि उनके विधायकों को धमकी दी जा रही है। दूसरी पार्टी ने कहा कि यहां पैसे बांटने की योजना चल रही है। मैं इसे नहीं होने दूंगा।
 
सत्यपाल मलिक ने कांग्रेस का बिना नाम लिए हमला बोला और कहा कि ये वे बल हैं, जो जमीनी लोकतंत्र बिलकुल नहीं चाहते थे और अचानक यह देखकर कि उनके हाथ से चीजें निकल रही हैं, एक अपवित्र गठबंधन करके मेरे सामने आ गए। मैंने किसी के साथ पक्षपात नहीं किया। मैंने जो जम्मू-कश्मीर की जनता के पक्ष में था, वह काम किया।
 
नेकां के कोर्ट जाने के सवाल पर मलिक ने पूछा कि वे कोर्ट क्यों जाएंगे? वे तो इसके लिए पिछले 5 महीनों से मांग कर रहे थे। मैं चाहता हूं कि वे कोर्ट जाएं, यह उनका अधिकार है। उन्हें जाना चाहिए। वहीं महबूबा मुफ्ती के पत्र भेजने का ट्वीट करने पर उन्होंने कहा कि क्या सरकारें सोशल मीडिया से बनती हैं? न ही मैं ट्वीट करता हूं और न देखता हूं। मैंने बुधवार का दिन विधानसभा भंग करने के लिए इसलिए चुना, क्योंकि बुधवार को पवित्र दिन था, ईद थी।
 
इस बीच नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने राज्यपाल के कदम को राज्य के खिलाफ साजिश बताते हुए आरोप लगाया कि कश्मीर में सांप्रदायिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। नेकां ने कहा कि राज्यपाल भवन की फैक्स मशीन ने सूबे में लोकतंत्र का गला घोंट दिया।
 
नेकां नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नुकसान के बावजूद हम पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने को राजी हो गए थे। आज हम अपने विधायकों के साथ आखिरी बातचीत कर समर्थन का पत्र पीडीपी को सौंपने वाले थे। राज्यपाल भवन की फैक्स मशीन पर तंज कसते हुए उमर ने कहा कि यह फैक्स मशीन वनवे है। उन्होंने कहा कि पीडीपी की चिट्ठी राजभवन पहुंची ही नहीं। फैक्स मशीन ने लोकतंत्र का कत्ल किया है।
 
राज्य के खिलाफ साजिश का आरोप लगाते हुए उमर ने कहा कि राज्य को साजिशों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। राज्य में बदलते हालात से लोग परेशान हैं। जब पीडीपी की सरकार गिरी थी तभी हम राज्य में चुनाव चाहते थे। राज्यपाल सत्यपाल मलिक के विधायकों की खरीद-फरोख्त वाले बयान पर उमर ने सवाल किया कि चूंकि राज्यपाल ने यह बात कही है तो उन्हें इसके बारे में सबूत पेश करने चाहिए कि विधायकों को खरीदने का काम कौन कर रहा है? पैसे का इस्तेमाल कौन कर रहा है? इसके बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
 
राज्यपाल के विरोधी विचारधारा वालों की सरकार वाले तर्क पर उमर ने कहा कि जब पीडीपी और भाजपा मिलकर सरकार बना सकती है तो हम क्यों नहीं? जब दो अलग-अलग विचारधारा वाले लोग मिल सकते हैं तो हमें भी यह हक है। जब पिछले विधानसभा चुनाव में हम हार गए थे तब सारे मतभेद भुलाकर पीडीपी को बिना शर्त समर्थन देने को राजी थे। 2015 में हमने जो शर्त पीडीपी के साथ रखी थी उसे मान लिया जाता तो रियासत की यह हालत नहीं होती। उस समय भाजपा-पीडीपी के बीच खुफिया बातचीत चल रही थी। हमने बिना शर्त समर्थन देने की बात कही थी लेकिन हमारी बात नहीं मानी गई।
 
भाजपा नेता राम माधव के राज्य में सरकार बनाने के लिए सीमा पार से नेकां और पीडीपी को निर्देश वाले बयान पर बिफरते हुए उमर ने कहा कि उन्हें इसके पक्ष में सबूत दिखाना चाहिए। उमर ने कहा कि पीडीपी के वर्करों ने कुर्बानियां दी हैं। आरोप लगाकर भाग जाना बुजदिली है। इल्जाम लगाने की हिम्मत है तो सबूत दिखाएं।

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