अहमदाबाद। मध्यप्रदेश का एक समृद्ध दंपति करीब 100 करोड़ रुपए की अपनी संपत्ति और छोटी से बेटी को उसके नाना-नानी के संरक्षण में छोड़कर जैनभिक्षु बन गया है। दोनों मुक्ति की राह पर चल पड़े हैं। पैंतीस वर्षीय व्यापारी सुमीत राठौड़ 23 सितंबर को सूरत में एक कार्यक्रम में जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय में जैनभिक्षु बने। उनकी पत्नी अनामिका (34) कल भिक्षुणी बनीं। उससे पहले उन्होंने प्रशासन के कहने पर एक हलफनामा दिया और तीन साल की अपनी बेटी इभया को उसकी नाना-नानी के संरक्षण में रख दिया।
मध्यप्रदेश में नीमच के सुमित और अनामिका को साधुमार्गी जैन आचार्य रामलाल महाराज ने दीक्षा दी, लेकिन इभया के कारण उनकी इस मार्ग पर यात्रा निर्बाध नहीं थी। नीमच के एक कार्यकर्ता ने इस दंपति की नाबालिग बेटी के हित में दीक्षा समारोह रोकने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दखल की मांग की।
सुमित के जैन भिक्षु बनने से एक दिन पहले गुजरात बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इभया के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए उठाये गए कदम पर नागरिक और पुलिस प्रशासन से रिपोर्ट मांगी, क्योंकि इभया अब अपने माता-पिता से संबंध नहीं रख पाएगी और ऐसा इसलिए है क्योंकि जैनभिक्षुओं को पारिवारिक संबंध रखने की मनाही है और उन्हें सभी लौकिक संबंधों से नाता तोड़ना होता है।
सूरत के पुलिस आयुक्त सतीश शर्मा ने मंगलवार को बताया कि बाल आयोग ने सूरत पुलिस के पास यह मामला भेजा। सूरत पुलिस ने बच्ची का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए उठाए गए कदम के बारे में दंपति और उसके रिश्तेदारों से संपर्क किया। दरअसल किसी ने बच्ची के अभिभावकत्व को लेकर बाल आयोग में आवेदन किया। दंपति ने हलफनामा देकर इस संबंध में पुलिस को अवगत किया।
सुमित नीमच में अपना पारिवारिक कारोबार संभालने से पहले लंदन में काम करते थे। उनकी इंजीनियर पत्नी अनामिका किसी बड़ी खनन कंपनी में काम करती थी। अनामिका के पिता और नीमच के पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष अशोक चांडिल्य ने कहा कि मैं अपनी बेटी अनामिका के जैनभिक्षुणी बनने के विरुद्ध नहीं हूं। सुमीत के पिता राजेंद्र सिंह ने भी ऐसी ही राय प्रकट की। सुमित और अनामिका की चार साल पहले शादी हुई थी। (भाषा) (फोटो : सोशल मीडिया)