Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

आदिवासी समाज को राष्ट्र की मूलधारा में लाना होगा: अठावले

हमें फॉलो करें आदिवासी समाज को राष्ट्र की मूलधारा में लाना होगा: अठावले
, गुरुवार, 9 अगस्त 2018 (20:01 IST)
नई दिल्ली। सुखी परिवार फाउंडेशन द्वारा अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर-नई दिल्ली के नालंदा सभागार में ‘अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस’ समारोह का भव्य आयोजन आदिवासी जनजीवन के प्रेरणास्रोत गणि राजेन्द्र विजयजी के सान्निध्य में आयोजित हुआ।
 
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि आदिवासी भारत की मूल संस्कृति है। उनके अधिकारों एवं अस्तित्व की रक्षा के लिए केंद्र सरकार अपना हर संभव सहयोग प्रदत्त करेगी। आदिवासी समुदाय के विकास के लिए व्यापक प्रयत्न किए जाएंगे।
 
अठावले ने गणि राजेन्द्र विजयजी के द्वारा आदिवासी क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संत शक्ति और राजनीतिक शक्ति मिलकर ही आदिवासियों के जीवन को उन्नत बना सकेंगे। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी एक नया भारत निर्मित करने की ओर अग्रसर हैं। निश्चित ही इस नये भारत में आदिवासी समाज को सम्मान एवं गौरव प्राप्त हो सकेगा, ऐसा विश्वास है।
 
प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी ने कहा कि भारत को यदि शक्तिशाली एवं समृद्ध बनाना है तो आदिवासी जनजीवन को राष्ट्र की मूलधारा में लाना होगा। विकास की मौजूदा अवधारणा इसलिए विसंगतिपूर्ण है कि उसमें आदिवासी जनजीवन की उपेक्षा एवं उनके अधिकारों की अवहेलना की गई है। एक संतुलित समाज रचना के लिए आज आदिवासी जनजीवन को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। 
 
संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस समारोह में गणि राजेन्द्र विजय ने आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को राष्ट्रीय आदिवासी दिवस घोषित किये जाने की मांग करते हुए कहा कि आदिवासियों के चेहरे से लुप्त हो गई खुशी को वापिस लाने के लिए सरकार ऐसे आयोजन घोषित करे, जिससे आदिवासी जीवन में खुशियों की रोशनी उतर सके और वे अपनी मूल संस्कृति से जुड़ सके।
 
सांसद राजकुमार सैनी ने कहा कि सरकारी उपेक्षा के कारण आदिवासी अपनी जड़ों से कटते जा रहे हैं जो एक गंभीर चिंता का विषय है। पूरे देश में आदिवासी शिक्षा, कृषि, रोजगार आदि विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है, फिर भी आज देश में आदिवासी समाज विभिन्न समाजों की तुलना में उपेक्षित है।
 
राज्यसभा सांसद नारणभाई राठवा ने गुजरात में गैर-आदिवासियों को आदिवासी बनाये जाने एवं राठवा जाति के समुदाय को आदिवासी न मानने की सरकार की कुचेष्टाओं का विरोध करते हुए कहा कि आदिवासियों को आरक्षण नहीं, उनके मौलिक अधिकार चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

छत्तीसगढ़ में डेंगू का जोर, आधा दर्जन की मौत, 200 से ज्यादा लोग बीमार