इंदौर। नगर निगम की घोर लापरवाही के चलते बड़े बिलावली तालाब में हजारों मछलियों की मौत हो गई। इस पूरे मामले में निगम कर्मचारियों की नासमझी और लापरवाही ही सामने आ रही है। दरअसल, बड़े बिलावली का तालाब का पानी छोटे तालाब में छोड़े जाने के कारण इन मछलियों की मौत हो गई। इस मामले में एक और बात सामने आ रही है कि तालाब से पानी योजनाबद्ध तरीके से छोड़ा गया।
पानी छोड़ने से पहले यदि थोड़ा-सा भी विचार कर लिया जाता कि इससे बड़े बिलावली तालाब की मछलियों का क्या होगा तो संभवत: इतनी मछलियों की मौत नहीं होती। मछलियों को हटाने का काम भी तब शुरू हुआ, जब इस मामले ने तूल पकड़ लिया। हालांकि निगम का मानना है कि बड़े बिलावली का पानी काफी गंदा हो गया था, जिसके चलते उसे खाली किया गया था ताकि उसमें नया पानी भरा जा सके। तालाब में हजारों नहीं बल्कि लाखों मछलियों की मरन की भी बात सामने आ रही है।
निगम के कर्ता-धर्ताओं का तर्क है कि मृत मछलियों की संख्या लाखों में नहीं है। जो पानी बड़े से छोटे बिलावली तालाब में शिफ्ट किया जा रहा था, वह काफी गंदा हो गया था। निगम उसे हटाकर साफ पानी भरना चाहता है ताकि उसका पीने के लिए इस्तेमाल हो सके। निगम का यह भी कहना है कि जो मछलियां वहां से हटाई गई हैं, वे करीब 15 क्विंटल है। इसमें भी कोई आश्चर्य नहीं कि यदि छोटी मछलियों का वजन 15 क्विंटल है तो उनकी संख्या लाखों में हो भी सकती है। सोचने वाली बात यह है कि एक ओर मत्स्य विभाग द्वारा ने तालाब में मछलियां संख्या बढ़ाने के लिए मछलियां छोड़ी थीं, वहीं निगम की लापरवाही ने उनकी मेहनत पर भी पानी फेर दिया।
गंदे पानी के नाम पर हुआ बड़ा खेल : यह भी कहा जा रहा है तालाब से पानी छोड़ने का मकसद गंदा पानी हटाना नहीं बल्कि पास में ही मौजूद भाजपा नेताओं के खेतों तक पानी पहुंचाना था। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन चर्चा जोरों पर है। निगम की इस 'सुनियोजित लापरवाही' का खामियाजा आसपास के लोगों को भी उठाना पड़ा। मरी हुई मछलियों की बदबू के कारण उनका जीवन दूभर हो गया। तालाब के पास से निकलने वाले लोगों को भी नाक पर कपड़ा रखकर जाना पड़ा।