चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने राज्य में पिछड़े वर्ग को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण को सिरे से लागू किया गया है। राज्य में अब 6 लाख रुपए की आय वाले क्रीमीलेयर के दायरे में आएंगे। इन लोगों को अब आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
क्या है क्रीमीलेयर : क्रीमीलेयर अति पिछड़ा वर्ग की एक श्रेणी है। इसमें वे लोग और परिवार आते हैं जो उच्च आय वर्ग में आते हैं। इस श्रेणी में आने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। इसके चलते वह ओबीसी के लिए नौकरियों और शिक्षा में 27 फीसदी आरक्षण का हिस्सा बनने के भी हकदार नहीं हैं। केंद्र सरकार ने 8 लाख रुपए सालाना से अधिक कमाने वाले परिवारों को क्रीमीलेयर में रखा है। इन्हें आरक्षण की व्यवस्था का लाभ नहीं मिलता है।
क्या है नॉन क्रीमीलेयर : वर्तमान में अगर किसी परिवार का सालाना आय 8 लाख रुपए से अधिक है तो उस परिवार को क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जाएगा। यदि किसी परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से कम है तो उस परिवार को नॉन क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जाएगा। नॉन क्रिमी लेयर के बच्चों को OBC वाले 27% आरक्षण का लाभ मिलेगा।
कैसे होता है क्रीमीलेयर का निर्धारण : ओबीसी क्रीमीलेयर को निर्धारित करने के लिए कुछ नियम हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 1993 में इसे लेकर एक आधिकारिक ज्ञापन जारी किया था। इसके अनुसार 8 लाख रुपए प्रति वर्ष से कम आय वाले ओबीसी परिवार ही आरक्षण का लाभ पाने के पात्र होंगे।
वेतन और कृषि से होने वाली आय को इसमें शामिल नहीं किया गया है। क्रीमीलेयर का निर्धारण 'वेतन' और 'कृषि आय' के अलावा अन्य स्रोतों से आय के आधार पर तय किया गया है।
इन लोगों को नहीं मिलेगा आरक्षण का फायदा : राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायधीश, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और मुख्य निर्वाचन आयुक्त के परिजनों को आरक्षण का फायदा नहीं मिलता है।
सांसदों, विधायकों, क्लास 1 और क्लास 2 के अधिकारियों के साथ ही सेना में मेजर रैंक से ऊपर के अधिकारियों के बच्चे भी आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाएंगे। इंजीनियर, डॉक्टर, सलाहकार, कलाकार, लेखक और अधिवक्ता भी आय के आधार पर क्रीमीलेयर में आते हैं।