बागली। बागली अनुभाग और सतवास तहसील विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के सूखाग्रस्त इलाकों में है। जहां पर गर्मियों में सिंचाई तो ठीक पीने के पानी का संकट हो जाता है और भूजल स्तर 400 मीटर तक नीचे उतर जाता है। इन क्षेत्रों के किसान पिछले कुछ वर्षों से सिंचाई के लिए नर्मदा-कालीसिंध परियोजना की मांग कर रहे थे। नर्मदा-शिप्रा लिंक होने के बाद उनकी मांग भी तेज हो गई थी।
ऐसे में खंडवा लोकसभा क्षेत्र के सांसद आगे आए और उन्होंने नर्मदा उद्वहन सिंचाई परियोजना का आकल्पन किया। उनके प्रयासों से ही विगत 14 जुलाई को हाटपीपल्या में पूर्व सीएम स्व. कैलाश जोशी की प्रतिमा का अनावरण करने आए सीएम शिवराजसिंह चौहान ने 2540.69 करोड़ की हाटपीपल्या माइक्रो सिंचाई परियोजना की घोषणा की। एनवीडीए की योजना में 6 तहसीलों के 339 गांवों की 96 हजार 400 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित हो सकेगी।
इससे मौजूदा सिंचाई व्यवस्था तो उच्चकोटि की होगी ही कई लाख गैलन भूजल की बचत भी होगी। सर्वाधिक फायदा सिंचाई स्त्रोतों का अभाव झेल रहे किसानों व उनकी आर्थिक स्थिति को पहुंचेगा। योजना में पेयजल आपूर्ती का प्रावधान भी किया गया है। सांसद चौहान ने प्राक्कलन एनवीडीए से बनवाकर स्वीकृति तक में दिल्ली, भोपाल व इंदौर को एक कर दिया था। यह योजना मध्यप्रदेश के दो प्रमुख चंबल व नर्मदा के कछार को जोड़ने में सफल होगी।
योजना एक नजर में : योजना में नर्मदा नदी के इंदिरा सागर जलाशय (पुनासा डेम) से जल उद्वहन करके पाईपों के माध्यम से बागली, उदयनगर, हाटपीपल्या, सतवास, कन्नौद व बडवाह तहसील के ग्रामों में सिंचाई के लिए जाएगा। यह लिंक परियोजना नहीं है। जिस प्रकार से तालाबों में खुली कच्ची या पक्की नहरें होती है। इसमें बंद नहर पाइप लाइन की शक्ल में होगी, जिसका फायदा यह होगा कि पानी की नुकसानी कहीं भी नहीं होगी। योजना की लागत 2540.69 करोड़ है। जिसमें 6 तहसीलों के 339 ग्रामों के 96 हजार 400 हेक्टैयर कृषि क्षेत्र को सिंचित किया जाएगा। जल का उदवहन पंपिग स्टेशनों के द्वारा 3.30 मीटर व्यास के एमएस पाइप द्वारा होगा।
बागली विकासखंड व सतवास तहसील सर्वाधिक लाभान्वित : योजना का लाभ बागली विकासखंड को सबसे अधिक पहुंचेगा। यहां की तीन तहसीलों के 195 ग्रामों की 47120 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई का जल मिलेगा। जिसमें हाटपीपल्या तहसील के 27 ग्रामों की 11804 हेक्टैयर कृषि भूमि, बागली तहसील के 99 गांवों की 22018 हेक्टेयर कृषि भूमि और उदयनगर तहसील के 69 गांवों की 13298 हेक्टेयर कृषि भूमि, सतवास तहसील के 121 गांवों की 40800 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी। अन्य तहसीलों में कन्नौद तहसील के 21 गांवों की 7600 हेक्टेयर और बड़वाह तहसील के दो गांवों की 880 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी।
मांग के आधार पर पेयजल भी दिया जाएगा : योजना से केवल सिंचाई के लिए ही पेयजल नहीं मिलेगा, योजना क्षेत्र में जहां पर भी पेयजल की मांग होगी उन्हें पेयजल आपूर्ति भी की जाएगी। जो कि मांग के आधार पर होगी इसके लिए संबंधित क्षेत्रों में 43.55 एमसीएम के मुहाने संबंधित तहसीलों में रखे जाएंगे। योजना में 2.1 क्यूमेक्स पानी का प्रावधान पेयजल के लिए भी किया गया है।
सांसदजी बधाई के पात्र है : योजना को लेकर भारतीय किसान संघ के गोवर्धनसिंह पाटीदार ने बताया कि हम लंबे समय से मांग कर रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। सांसद नंदकुमारसिंह चौहान से बागली व भोपाल में मुलाकात हुई। उन्होंने कहा था कि मैं व्यक्तिगत रूप से प्रयासरत हूं। क्योंकि यह क्षेत्र सूखाग्रस्त है और गर्मियों में सिंचाई तो ठीक पेयजल का संकट भी होता है। सिंचाई की समुचित व्यवस्था होगी तो किसान प्रगति करेगा जिससे कृषि से जुड़े सभी क्षेत्रों के हाल सुधरेंगे और तेजी से विकास होगा। सांसदजी को बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित है। इस योजना से कई छोटे किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा।
योजना का स्वरूप बढ़िया है : नर्मदा लाओ मालवा बचाओ आंदोलन चलाते रहे एक्सआर्मी मैन कुरुसिंघल जोशी ने कहा कि मैं इस योजना के कारण सांसद चौहान से बहुत प्रभावित हुआ। कई वर्षों से मांग कर रहा था, जब साकार हो रही है। कालीसिंध सफाई अभियान के संस्थापक अधिवक्ता गगन शिवहरे, आशीष सिसौदिया, चंदन नटेरिया, प्रतापसिंह डाबी और संतोष शर्मा ने सांसद सिंह को धन्यवाद देते हुए बताया कि योजना का स्वरूप बहुत अच्छा है।
योजना में इंदिरा सागर जलाशय से 35.84 क्यूमेक्स जल उदवहन करना प्रस्तावित है। जिस हेतु कुल 0.3372 एमएएफ जल की आवश्यकता होगी। क्योंकि वर्तमान में हम नर्मदा नदी का केवल 12 एमएएफ जल ही ले रहे हैं। जबकि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण ने मध्यप्रदेश को 18.25 एमएएफ जल आवंटित किया है। इस कारण इस प्रकार की योजनाओं से हम हमारे हिस्से का उपयोग सुनिश्चित कर सकते हैं।
सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि हमारे देश में कृषि पर कई परिवार निर्भर हैं, जिसमें उपज व मजदूरी दोनों शामिल हैं। सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा तो किसान तो प्रगति करेगा ही, लेकिन उसका सकारात्मक असर खेती से जुड़े सभी क्षेत्रों को भी मिलेगा। बाजारों में रौनक होगी। नवीन निर्माण होंगे। नए रोजगारों का सृजन होगा। मुख्यमंत्रीजी ने हरी झंडी दिखाई है जल्दी ही योजना धरातल पर होगी। मेरे विचार में वर्ष 2022 से किसानों को पानी मिलने लगेगा।