रामनगर। उत्तराखंड के इतिहास में साल 2016 में हुई सबसे बड़ी सियासी बगावत के 5 साल बाद रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरक सिंह रावत से फोन पर बात की। इससे पूर्व हरक सिंह रावत ने हरीश रावत से माफी मांगी थी और उन्होंने कहा था कि हरीश रावत उनके बड़े भाई हैं और वे अब से उनकी किसी कही बात को आशीर्वाद के रूप में ग्रहण करेंगे, उनसे विवाद नहीं करेंगे।
इसके अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने भी वन और ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से बात की। करीब 4 मिनट तक चली इस बातचीत के दौरान हरीश रावत ने कहा कि आपदा में सांप और नेवले भी इकट्ठे हो जाते हैं, तो हम तो भाई हैं।
दोनों के बीच हुई इस बातचीत के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जाने लगे हैं। यह कहा जाने लगा है कि हरीश और हरक की घटती दूरियां उत्तराखंड की राजनीति में भविष्य में जरूर कोई गुल खिला सकती हैं। हरीश रावत ने आपदाग्रस्त क्षेत्र चुकुम गांव पहुंचकर आपदा प्रभावित लोगों से मुलाकात की व उनकी समस्याओं को सुना।
सुंदरखाल एवं चुकुम गांव वासियों को हो रही परेशानी एवं विस्थापन के संबंध में वन मंत्री हरक सिंह रावत से बात करके इस समस्या के समाधान के लिए उनको कहा।हरीश रावत और पीसीसी चीफ गणेश गोदियाल ने राफ्टिंग के जरिए कोसी नदी का जायजा भी लिया। अल्मोड़ा में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 36 घंटे पहले चेतावनी के बाद भी सरकार आपदा प्रबंधन करने में पूरी तरह नाकाम रही।
उन्होंने मुख्यमंत्री को बहोड़ यानी बछड़ा बताया और कहा कि उन्हें तो कुछ भी नहीं पता, जो जैसा कह रहा है, वैसा कर रहे हैं। सरकार पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गंभीर आरोप भी लगाए। हरीश ने कहा कि चेतावनी के बाद भी लगातार बारिश होती रही, सरकार नहीं जागी और लोगों को अलर्ट तक नहीं किया।