सुरेंद्र नगर (गुजरात)। कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को एक रैली में सरेआम थप्पड़ जड़ने की घटना शुक्रवार को भारत में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रही। नेशनल टीवी चैनल के साथ ही साथ आकाशवाणी के समाचारों में इसे प्रमुखता से प्रसारित किया गया। हार्दिक को सरेआम चांटा मारने वाले शख्स तरुण गज्जर ने इसका जब इसका खुलासा किया, तब लगा कि एक आदमी किस तरह अपनी भड़ास निकालता है। हालांकि हार्दिक यह दरियादिली रही कि इतने अपमान के बाद भी उन्होंने तरुण को माफ कर दिया।
गुजरात के लोकप्रिय नेता हार्दिक पटेल के साथ उक्त अप्रत्याशित घटना उस वक्त हुई, जब वे सुरेंद्र नगर में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। बिजली की गति से तरुण गज्जर नाम का यह शख्स मंच पर चढ़ा और उसने हार्दिक को थप्पड़ जड़ डाला।
वहां मौजूद लोग कुछ समझ पाते, इसके पहले तरुण अपना काम कर गया। लोगों ने उसकी पिटाई कर डाली जिसकी वजह से उसकी आंख के पास गहरी चोट आई। फिलहाल उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया है।
हार्दिक को थप्पड़ मारने का खुलासा किया तरुण ने : तरुण का कहना था कि गुजरात में हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन के कारण उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मेरी पत्नी गर्भवती थी, जब पाटीदार आंदोलन चल रहा था। पत्नी अस्पताल में थी, तब मैंने बहुत बुरा दौर देखा और तभी फैसला कर लिया था कि एक दिन मैं आंदोलन के मुखिया को थप्पड़ लगाऊंगा। मुझे किसी भी तरह इन्हें सबक सिखाने का प्रण ले लिया था।
बच्चे की दवा लेने में आई परेशानी : तरुण ने कहा कि पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया था। अहमदाबाद में बच्चा बीमार हो गया था और मैं उसकी दवाई लेने के लिए बाजार गया लेकिन वहां पता चला कि वहां सब कुछ बंद है। कोई दवाई की दुकान चालू नहीं थी। मुझे फिर बहुत गुस्सा आया कि हार्दिक जब चाहे गुजरात बंद कर देता है। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है। मन में सोचा क्या वह गुजरात का हिटलर है?
सामने आई हार्दिक पटेल की दरियादिली : भरी रैली में तरुण गज्जर ने हार्दिक पटेल को थप्पड़ जड़ा था, जो कैमरे में भी कैद हो गया। इस अपमान के बाद भी हार्दिक ने बड़ा दिल रखते हुए स्थानीय लोगों को कहा कि मैंने उसे माफ कर दिया है। कोई भी व्यक्ति उसे नुकसान नहीं पहुंचाए। यह घटना मुझे युवाओं और उनके मुद्दों के बारे में बात करने के लिए नहीं रोक सकती।
जब आम आदमी का गुस्सा फूटता है तो ऐसा ही होता है : तरुण गज्जर के बारे में यह तो नहीं पता कि वह किसी पार्टी से जुड़ा है या नहीं लेकिन यदि हम आम आदमी की तकलीफों के बारे में सोचें तो यकीनन कभी न कभी, किसी न किसी व्यक्ति को जरूर उस वक्त गुस्सा आता होगा, जब उसका प्रियजन बीमार हो और किसी वीआईपी के काफिले के कारण रास्ता रोक दिया गया हो।
कई बार आंदोलनों, रैलियों के बीच जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे इंसान कोई एम्बुलेंस अस्पताल ले जा रही होती है और वह जाम के बीच फंस जाती है। तब बीमार ही नहीं, बल्कि आसपास के लोग भी उन लोगों को कोसने लगते हैं जिनके कारण सड़कों पर जाम लगता है। तब आम आदमी का गुस्सा नेताओं पर ठीक उसी तरह फूटता है, जैसा तरुण गज्जर का आक्रोश पूरे देश ने देखा।