देहरादून। उत्तराखंड में टिहरी की खास पट्टी छाम और दुरोगी गांव में बीते एक सप्ताह से आतंक के पर्याय बने गुलदार को वन विभाग द्वारा तैनात शिकारियों ने कल मंगलवार को मार गिराया। इससे ग्रामीणों ने खासी राहत महसूस की है। उत्तराखंड के गावों में इन दिनों गुलदार इतनी संख्या में हैं कि गांव वालों में भूत-चुड़ैल का कोई खौफ न होकर मात्र एक ही खौफ रहता है कि कहीं कोई गुलदार न टकरा जाए। इसलिए कहीं बाहर काम पर जाने वालों को घर वाले भी यही नसीहत देते हैं कि घर उजाले में ही आ जाना और देखभाल के सही से चलना।
टिहरी जिले के खास पट्टी क्षेत्र के छाम और दुरोगी गांव में गुलदार ने तांडव मचा रखा था। मंगलवार को ही गुलदार ने दुरोगी के मदन लाल उर्फ मद्दा कोली की पत्नी गुन्द्री देवी (50) को मौत के घाट उतार दिया जबकि इससे पूर्व वह छाम गांव के भगवती दास की पत्नी को आंगन से उठा ले गया और उसका आधा शरीर खेतों में छोड़ दिया। वहीं दुरोगी की एक विवाहिता महिला पर वह पहले भी हमला कर चुका है जिसका उपचार चल रहा है। छाम की घटना के बाद से वन विभाग की टीम क्षेत्र में तैनात थी। लगातार कॉम्बिंग करने के बाद कल मंगलवार को शाम करीब 4.30 बजे गुलदार को ढेर कर दिया गया।
दो दिन पूर्व नैनीताल जिले के रामनगर के चिल्किया गांव में सब्जी लेकर घर जा रहे एक मजदूर पर गुलदार ने घात लगाकर हमला कर दिया। रामनगर कॉर्बेट लैंडस्केप से लगते गांवों में बाघ और गुलदार के हमले की घटनाएं रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं। चिल्किया गांव का रहने वाला मजदूर महेंद्र सिंह (24) पुत्र हरि राम बाजार से सब्जी खरीदकर घर जा रहा था, तभी गुलदार ने महेंद्र पर हमला कर उसे घायल कर दिया। गांव के अन्य लोगों के शोर मचाने पर गुलदार महेंद्र को छोड़ जंगल की ओर भाग गया। ग्रामीणों ने घायल को 108 की मदद से रामनगर के संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराया है।
दूसरी तरफ पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट के सिमलकुडा लतराडी में मंगलवार सायं को एक बालक को गुलदार ने घर जाते हुए खींच लिया और मार डाला। गुलदार के आतंक से पूरे उत्तराखंड में जगह-जगह ऐसी घटनाओं की सूचनाएं मिलती रहती हैं।