अहमदाबाद। गुजरात नर्मदा बांध पर अपनी जरूरत से ज्यादा निर्भरता के कारण आने वाली गर्मियों में जल संकट के मुहाने पर खड़ा दिखाई दे रहा है। गुजरात के मुख्य सचिव जेएन सिंह ने हाल ही में घोषणा की थी कि नर्मदा में कम पानी होने के कारण वे उद्योगों को पानी उपलब्ध नहीं करा पाएंगे तथा उन्होंने स्थानीय निकायों से इन गर्मियों पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कहा है।
नर्मदा नदी के तट के आसपास के इलाकों मुख्यत: मध्यप्रदेश में पिछले मानसून के दौरान कम बारिश हुई और पश्चिमी राज्य को सामान्य मानसून के मुकाबले सरदार सरोवर बांध से केवल 45 फीसदी पानी ही मिला।
राज्य सरकार ने हाल ही में किसानों को गर्मियों की फसल बोने से बचने को कहा है, क्योंकि वह सिंचाई के लिए पानी मुहैया नहीं करा पाएगी। सरकार की उद्योगों को भी पानी की आपूर्ति में कटौती करने की योजना है तथा उसने पेयजल के लिए नर्मदा पर निर्भर रहने वाले शहरों और गांवों के प्रशासन को जल के स्थानीय स्रोतों की संभावनाएं तलाशने के लिए कहा है।
जल प्रबंधन पर गुजरात के मुख्यमंत्री के सलाहकार बीएन नवलवाला ने कहा कि हां, हमें यह धारणा बदलने की जरूरत है कि हम नर्मदा पर सरदार सरोवर परियोजना पर पूरी तरह निर्भर हैं। नर्मदा के पानी को जल के स्थानीय स्रोतों में वृद्धि के तौर पर देखा जाना चाहिए, न कि मुख्य स्रोत के तौर पर।
सत्तारूढ़ भाजपा के नेता नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध को गुजरात की जीवनरेखा बताते हैं जिसका लक्ष्य 131 शहरी केंद्रों और 9,633 गांवों को पेयजल उपलब्ध कराना है। (भाषा)