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चमत्कार, यमुना नदी में मिला तैरता हुआ पत्थर... (वीडियो)

हमें फॉलो करें चमत्कार, यमुना नदी में मिला तैरता हुआ पत्थर... (वीडियो)

अवनीश कुमार

कानपुर , बुधवार, 24 जनवरी 2018 (14:07 IST)
कानपुर में घाटमपुर सजेती के मउनखत गांव के पास उस समय आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा जब यमुना नदी में त्रेता युग का एक दृश्य उपस्थित हो गया। दरअसल, पानी में तैरता हुआ एक पत्थर दिखाई दिया। इस पर राम का नाम भी अंकित था। हालांकि यह पत्थर नदी में कैसे पहुंचा और उस पर राम नाम कैसा लिखा गया, इसके बारे में किसी को भी जानकारी नहीं है। 
 
इसकी जानकारी जंगल में आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई और उसे देखने व पत्थर के दर्शन के लिए आसपास के गांवों से लोगों का जमावड़ा लगने लगा। यही नहीं यहां पर लोग दर्शन कर पूजा तक करने लगे।
 
जानकारी के मुताबिक औद्योगिक नगरी कानपुर शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित घाटमपुर तहसील के सजेती थाना क्षेत्र स्थित मउनखत गांव यमुना नदी किनारे बसा है। प्रत्यक्षदर्शी कल्लू निषाद सुबह जमुना नदी में मछलिया पकड़ने के लिए गया तभी विपरीत धारा की तरफ से राम नाम लिखा आठ से दस किलो का लगभग एक-डेढ़ फुट लंबा चौड़ा पत्थर तैरता हुआ चला आ रहा था।
 
यह देखकर पहले तो कल्लू को विश्वास ही नहीं हुआ, लेकिन बाद में उसने उस पत्थर को उठाकर नाव में रख लिया और पत्थर को नदी के किनारे पर रख दिया। साथ ही साथ कल्लू ने इस बात की जानकारी गांव के लोगों को दी। पहले तो ग्रामीणों ने कल्लू निषाद की बात पर यकीन नहीं किया, लेकिन जब ग्रामीणों ने राम नाम लिखा हुआ पत्थर दोबारा नदी में डाला तो पत्थर तैरने लगा।
 
पत्थर तैरने जानकारी मिलते ही वहां लोगों की भीड़ जुट गई। ग्रामीणों ने अद्भुत पत्थर को राम सेतु का टुकड़ा मानते हुए पूजा-अर्चना शुरू कर दी। ग्रामीण प्यारे लाल सहित कई गांवों के ग्रामीणों का मानना है कि यह पत्थर त्रेतायुग का है। इसके चलते लोगों ने इस अलौकिक पत्थर को यमुना किनारे स्थित हनुमान मंदिर में स्थापित कर दिया है, जहां दर्शन करने वालों का तांता लगा रहा।  
 
क्या कहते हैं जानकार : चूंकि यह मामला आस्था से जुड़ा हुआ है इसलिए नाम न बताने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने बताया कि इसमें कोई आश्चर्य वाली बात नहीं है क्योंकि कुछ पत्थर या चट्‍टानें ऐसी होती हैं जो पानी में तैरती रहती हं। यह भी संभव है कि कोई पुराना पत्थर नदी में उभरकर सामने आ गया हो। 
 
राम से जुड़ा है यह प्रसंग : त्रेता युग में सीता का हरण के बाद वानर और भालुओं के सहयोग से राम ने लंका पर चढ़ाई करने का निश्चय किया। मगर सबसे बड़ी समस्या थी कि विशाल समुद्र को कैसे पार किया जाए। तब समुद्र ने श्रीराम से कहा था कि नल और नील नाम के दो वानर भाई हैं, जिनके हाथ से समुद्र में डाले गए पत्थर आपके प्रताप से नहीं डूबेंगे। यह भी माना जाता है कि नल और नील को उन खास पत्थरों के बारे में जानकारी थी, जिनके पानी डालने पर वे पानी की सतह पर तैरते रहते हैं। 

 
     

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