रामपुर। अपने बयानों के कारण अक्सर विवादों में रहने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद आजम खान (Azam Khan) की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपना स्कूल बनवाने के लिए लोगों को डरा-धमकाकर उनके घर का सामान लूट लिया और उन्हें वहां से भगा दिया। पुलिस ने इस मामले में आजम खान समेत 5 लोगों के खिलाफ डकैती और विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है।
खबरों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की रामपुर पुलिस ने आजम खान के खिलाफ डकैती की धाराओं में केस दर्ज किया है। आजम खान पर आरोप है कि उन्होंने अपनी स्कूल बनवाने के लिए लोगों को डरा धमकाकर उनके घर का सामान लूट लिया और उन्हें वहां से भगा दिया।
इस मामले में एसपी सांसद आजम खान, पूर्व सीओ आले हसन, फसाहत शानू, वीरेंद्र गोयल, एसओजी के सिपाही धर्मेंद्र का नाम शामिल है। पांचों आरोपियों के खिलाफ डकैती, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। घटना 15 अक्टूबर 2016 की है। इस मामले में पीड़ित नन्हे द्वारा लगाए गए आरोप पुलिस जांच में सही पाए गए।
पीड़ित का आरोप है कि इन लोगों ने उसके परिवार के साथ मारपीट और महिलाओं के साथ अभद्रता की थी। इसके बाद सभी को घर से निकाल दिया। इस दौरान आरोपी घर में रखे सोने के जेवर के अलावा अन्य सामान भी लूटकर ले गए। बाद में मकान पर बुलडोजर चलवा दिया।
गुरुवार को आजम खान की गिरफ्तारी की मांग को लेकर रामपुर में किसान धरने पर बैठ गए। धरने पर बैठे किसान आजम को गिरफ्तार करो, भू-माफिया हाय-हाय, किसानों की ज़मीनें वापस करो के नारे लगाते दिखे। आजम खान के खिलाफ 28 मुकदमे जमीनों पर कब्जे से जुड़े हैं। ये जमीनें आलियागंज के किसानों की हैं। किसानों का आरोप है कि सपा शासनकाल में मंत्री रहते आजम खान ने जबरन उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया।
आजम खान पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले 3 महीनों में 64 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से अकेले 28 मामले पिछले महीने ही दर्ज हुए हैं। ये सारे मामले गंभीर धाराओं में दर्ज हैं। उनके ऊपर सरकारी जमीन कब्जाने से लेकर लगभग 2 हजार हरे पेड़ कटवाने तक का आरोप है। उत्तर प्रदेश सरकार आजम को पहले ही भूमाफिया घोषित कर चुकी है।
रामपुर कोर्ट आजम की गिरफ्तारी को लेकर पहले ही अंतरिम राहत देने से इनकार कर चुकी है। हाईकोर्ट ने भी उन्हें अंतरिम राहत देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। वहीं जिला प्रशासन ने दावा किया कि सभी मुकदमों के सबूत हैं। पुलिस का इरादा किसी को अपमानित कर गिरफ्तार करने का नहीं है।