बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में 1 आदिवासी किसान ने कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान के परिजनों का कहना है कि उस पर सहकारी बैंक का डेढ़ लाख रुपए का कर्ज था, जिससे वह परेशान था। वहीं जिला प्रशासन ने कहा कि कर्ज वसूली के लिए किसान पर दबाव नहीं बनाया गया था और हो सकता है कि उसने पारिवारिक या मानसिक परेशानी के कारण यह कदम उठाया गया हो।
जिले के पेंड्रा थाना की प्रभारी सुशीला टेकाम ने बताया कि गौरला थाना क्षेत्र के अंतर्गत पिपरियाकला गांव निवासी 39 वर्षीय सुरेश सिंह मरावी ने गुरुवार की सुबह पेंड्रा थाना क्षेत्र के कुदरी गांव में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सिंह का कुदरी गांव में ससुराल है।
टेकाम ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में सुरेश की मां और पत्नी का कहना है कि सुरेश पर सहकारी बैंक का लगभग डेढ़ लाख रुपए का कर्ज था। जिसके भुगतान के लिए उस पर दबाव था। इसी वजह से सुरेश ने आत्महत्या की है।
परिजनों ने पुलिस को बताया कि सुरेश पर लरकेनी गांव स्थित सहकारी बैंक का करीब डेढ़ लाख रुपए का कर्ज था। सुरेश को बैंक की तरफ से कर्ज की भरपाई करने का दबाव था और इस संबंध में उसे नोटिस भी मिला था।
परिजनों ने बताया कि सुरेश कर्ज अदा नहीं कर पाने के कारण मानसिक रूप से परेशान था और एक माह पूर्व भी उसने आत्महत्या करने का प्रयास किया था। कर्ज के बोझ और आर्थिक तंगी से जूझ रहे सुरेश ने गुरुवार को अपने ससुराल में जाकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली।
इधर बिलासपुर जिले के कलेक्टर पी दयानंद ने दावा किया कि मामला सामने आने के बाद उन्होंने जांच कराई है। जांच में स्पष्ट है कि मृतक किसान सुरेश से कोई वसूली नहीं की गई है तथा उसके बैंक खाते में पर्याप्त रुपए हैं।
दयानंद ने बताया कि पिछले वर्ष तक उस पर कर्ज था जिसे 3 वर्षों तक के लिए किश्तों में बांट दिया गया था। इस वर्ष उसे फसल बीमा की राशि 1 लाख उन्यासी हजार रुपए भी मिली है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने कर्ज में डूबे होने अथवा वसूली की वजह से आत्महत्या की है।
कलेक्टर ने कहा कि सुरेश ने अपने ससुराल में जाकर आत्महत्या की है। संभव है उसने किसी पारिवारिक या मानसिक परेशानी की वजह से आत्महत्या की होगी। (भाषा)