मुंबई। कॉमन एंट्रेस टेस्ट (CET) में 89% अंक प्राप्त करने वाली एक होनहार छात्रा को महज इसलिए अपनी जान गंवानी पड़ी क्योंकि उसका गरीब किसान पिता फिस के लिए 1 लाख रुपए नहीं जुटा सका। बेटियों को पढ़ाने के लिए देश में चल रही तमाम सरकारी योजनाओं के गाल पर यह एक करारा तमाचा है।
मामलला महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में गरीब किसान परिवार का है। इस किसान पिता द्वारा बीटेक की फीस के लिए जरूरी एक लाख रुपए तय समय पर नहीं जुटा पाने पर बेटी ने कीटनाशक पीकर जान दे दी।
पुलिस ने बताया कि रूपाली रामकृष्ण पवार जालंधर स्थित एक कॉलेज में बीटेक प्रथम वर्ष में दाखिले के लिए पिता द्वारा एक लाख रुपए नहीं जुटा पाने को लेकर निराश थी। किसान रामकृष्ण पवार पैसे जुटाने के लिए अपने खेत बेचने के लिए भी तैयार थे, लेकिन उन्हें इच्छित मूल्य नहीं मिल पा रहा था।
अधिकारी ने बताया कि 20 जुलाई के तय समय तक पैसों का इंतजाम नहीं हो पाने से निराश रूपाली की मंगलवार रात को परिवार के एक सदस्य से बहस भी हुई थी। इसके बाद रूपाली ने मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात को कीटनाशक पी लिया।
कीटनाशक पीने से हुई पीड़ा के बाद वह चिल्लाई तो परिजन उसे मोहोल के अस्पताल में लेकर पहुंचे। जहां से उसे शोलापुर के अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि किसान रामकृष्ण पवार की 17 साल की बेटी रूपाली रामकृष्ण पवार पढ़ाई में बहुत तेज थी और उसने कॉमन एंट्रेस टेस्ट (सीईटी) में 89 फीसदी अंक हासिल किए थे। पुलिस ने दुर्घटनावश हुई मौत का मामला दर्ज कर लिया है।
इस घटना से राज्य के लातूर जिले में कक्षा 11 में पढ़ने वाली एक मेधावी छात्रा स्वाति पिताले की याद ताजा हो गई जिसने 260 रुपए का मासिक बस पास बनवाने के पैसे न होने बाद आत्महत्या कर ली थी।