अहमदाबाद। कांग्रेस ने शुक्रवार को वादा किया कि अगर वह गुजरात की सत्ता में आती है तो किसानों के 3 लाख रुपए तक के कर्ज को माफ कर देगी और उन्हें रोजाना 10 घंटे मुफ्त बिजली देगी। उल्लेखनीय है कि गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने कहा कि उनकी पार्टी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर कृषि उत्पाद खरीद पर रोक लगाने के लिए कानून लाएगी। भाजपा की धुर विरोधी कांग्रेस ने यह घोषणा राज्य में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी द्वारा की गई घोषणाओं के कुछ दिन बाद की है।
इससे पहले आप ने घोषणा की थी कि अगर राज्य में उसकी सरकार बनती है तो 300 यूनिट बिजली हर महीने मुफ्त दी जाएगी और साथ ही बेरोजगार युवाओं और 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को भत्ता दिया जाएगा।
ठाकोर ने दावा किया कि सत्तारूढ़ भाजपा दावा करती है कि गुजरात ऊर्जा अधिकता वाला राज्य है, लेकिन किसानों को खेती के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। कांग्रेस अगर सत्ता में आती है तो किसानों को रोजाना 10 घंटे तक मुफ्त बिजली देगी, वह भी दिन के समय में। हम किसानों के खिलाफ लगाए गए जुर्माने और बिजली चोरी के मामले भी वापस लेंगे।
कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं जैसे अर्जुन मोढवाडिया और तुषार चौधरी ने राजकोट, सूरत और वडोदरा में शुक्रवार को इसी तरह का संवाददाता सम्मेलन कर ये घोषणाएं कीं।
ठाकोर ने कहा कि गुजरात के किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं, लेकिन उन्हें राहत देने के बजाय भाजपा ने उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया हैं। सत्ता में आने के बाद पहली मंत्रिमंडल की बैठक में कांग्रेस किसानों के 3 लाख रुपए से कम के कर्ज माफ करने का फैसला करेगी।
उन्होंने वादा किया कि एमएसपी से कम दाम पर कृषि उत्पादों की खरीद रोकने के लिए कानून लाने के साथ कांग्रेस सरकार किसानों से 20 किलोग्राम कृषि उत्पाद की खरीद पर 20 रुपए अतिरिक्त बोनस का भुगतान करेगी।
कांग्रेस द्वारा किए गए अन्य वादों में राज्य के सहकारी निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण, भाजपा के कब्जे से सहकारी क्षेत्र को छुड़ाने के लिए कानून और पशुपालकों को दूध खरीद पर 5 रुपए प्रति लीटर अतिरिक्त बोनस देने का वादा शामिल है।
गौरतलब है कि कांग्रेस वर्ष 1995 से ही गुजरात की सत्ता से बाहर है। ठाकोर ने कहा कि पार्टी की सरकार बनने पर पशुपालकों को किसान का दर्जा दिया जाएगा ताकि वे कृषि भूमि खरीद के लिए सशक्त हो सकें। (भाषा)