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मनीलांड्रिंग मामला : शिवकुमार की याचिका पर फैसला 25 सितंबर को

हमें फॉलो करें मनीलांड्रिंग मामला : शिवकुमार की याचिका पर फैसला 25 सितंबर को
, शनिवार, 21 सितम्बर 2019 (18:55 IST)
नई दिल्ली। मनीलांड्रिंग के मामले में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की जमानत याचिका पर अदालत 25 सितंबर को फैसला देगी जहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को कहा कि डीके शिवकुमार गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उपस्थित हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहर के सामने आई जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि शिवकुमार सिर्फ टैक्स चुकाकर अपनी दागी प्रॉपर्टी को बेदाग नहीं साबित कर सकते।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनुसिंघवी और मुकुल रोहतगी शिवकुमार की तरफ से उपस्थित हुए। उन्होंने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की दलीलों का विरोध किया और कहा कि शिवकुमार निर्दोष हैं और ईडी उन्हें जेल में रखने के लिए व्याकुल है।

रोहतगी ने कहा कि अगर पी. चिदंबरम जैसे व्यक्ति के बारे में डर है कि वह देश छोड़कर भाग सकते हैं, तो इस देश में किसी भी व्यक्ति के बारे में ये डर हो सकता है। पी. चिदंबरम को एक अन्य मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान ईडी की तरफ से विशेष सरकारी अधिवक्ता अमित महाजन, एनके मट्टा और नितेश राणा भी पेश हुए। ईडी ने कहा, मैं कह सकता हूं कि समाज में शिवकुमार की जितनी गहरी पैठ है, इस मामले में उससे अधिक गहरी साजिश है। साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की आशंका है।
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राणा ने कहा, आयकर की कार्रवाई में कुछ लोगों द्वारा दिए गए बयान बाद में बदल गए। इससे पता चलता है कि वह मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। एक प्रभावशाली और शक्तिशाली व्यक्ति होने के चलते वे जांच को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ईडी ने शिवकुमार पर गंभीर आर्थिक अपराध करने का आरोप लगाया और कहा कि ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक खतरा है।

राणा ने कहा, इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था असंतुलित हो सकती है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक जोखिम पैदा हो सकता है। इससे सख्ती के साथ निपटा जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि शिवकुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

जांच एजेंसी ने कहा कि कृषि भूमि के अलावा कई गैर-कृषि भूमि और प्रॉपर्टी भी हैं, जिनकी जांच महत्वपूर्ण चरण में हैं। डी की दलीलों का विरोध करते हुए सिंघवी ने कहा कि अगर ईडी के नजरिए को अपनाया गया तो इस न्यायिक सिद्धांत का क्या होगा कि कोई व्यक्ति तब तक निर्दोष है, जब तक कि वह दोषी नहीं साबित होता।

उन्होंने कहा, अदालत को भारी आंकड़ों के जरिए प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। धन की मात्रा हर दिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा, जब सिर्फ 20 सक्रिय खाते हैं तो फिर 317 का आंकड़ा कहां से आ रहा है? मुझे 21वां खाता दिखाइए और मैं बैठ जाऊंगा।

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