Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

हेलीकॉप्टर से आए चोर! चुरा ले गए दुर्लभ गणेश प्रतिमा...

हमें फॉलो करें हेलीकॉप्टर से आए चोर! चुरा ले गए दुर्लभ गणेश प्रतिमा...
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 85 किमी दूर दंतेवाड़ा जिले की एक सुदूर पहाड़ी के शिखर से करोड़ों की एक पुरातात्विक महत्व की गणेश मूर्ति गायब होने की खबर सामने आई है। ये प्रतिमा छत्तीसगढ़ में सबसे ऊंचे स्थल पर विराजमान दुर्लभ गणेश प्रतिमा थी।
बताया जा रहा है कि लौह नगरी बेलाडीला की ढोलकल पहाड़ी पर स्थापित 11वीं सदी की ये प्रतिमा गुरुवार शाम तक सही सलामत थी। इसकी स्थापना छिंदक नागवंशी राजाओं ने की थी। प्रतिमा ललितासन मुद्रा में है।रात में सुदूर गांव के इस ग्रामीणों ने पहाड़ी के आसपास एक हेलीकॉप्टर के मंडराने की आवाजें सुनीं। शुक्रवार सुबह पहाड़ी पर पहुंचे कुछ पर्यटकों ने प्रतिमा गायब पाई, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि हेलीकॉप्टर से आए चोरों ने वारदात को अंजाम दिया है। वारदात के पीछे माओवादियों या तस्करों के किसी अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हाथ होने से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। पहाड़ी का शिखर समुद्र तल से लगभग तीन हजार फीट की ऊंचाई पर है।
 
दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक कश्यप ने बताया कि उन्हें इस आशय की सूचना मिली है। मामले की सत्यता परखने पुलिस बल ढोलकल पहाड़ी की ओर रवाना कर दिया गया है। ढोलकल के पास स्थित एक अन्य शिखर से सूर्यदेव की प्रतिमा भी 15 वर्षों से गायब है। प्रशासन को आज तक उसकी कोई खोज खबर नहीं मिली है। बस्तर में स्थान-स्थान पर बिखरी प्रतिमाओं के संरक्षण के लिए हाल ही में सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से करोड़ों की योजना बनाए जाने की बात कही थी। 
 
जगदलपुर से ढोलकल गए युवा पर्यटक रवि नायडू ने बताया कि पहाड़ी के ऊपर उन्हें उस स्थान पर मूर्ति नहीं मिली। मूर्ति उखाड़े जाने के निशान स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। इसके बाद उन्होंने इस बारे में ग्रामीणों को बताया। बेलाडीला की सभी पहाड़ियां लौह अयस्क से परिपूर्ण हैं। लगभग सभी पहाड़ियों को अयस्क उत्खनन के लिए विभिन्न कंपनियों को लीज पर दे दिया गया है। स्थानीय लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं।
 
दुर्गम पहुंचमार्ग : ढोलकल शिखर तक पहुंचने के लिए दंतेवाड़ा से करीब 18 किलोमीटर दूर फरसपाल जाना पड़ता है। यहां से कोतवाल पारा होकर जामपारा तक पहुंच मार्ग है। जामपारा में वाहन खड़ी कर तथा ग्रामीणों के सहयोग से शिखर तक पहुंचा जा सकता है। जामपारा पहाड़ के नीचे है। यहां से करीब तीन घंटे पैदल चलकर पहाड़ी पगडंडियों से होकर ऊपर पहुंचना पड़ता है। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मिसाइल परीक्षण, अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा चीन...