मुंबई। महाराष्ट्र के पुणे स्थित स्टार्टअप ने खून में मौजूद कैंसर कोशिकाओं (सीटीसी) के आधार पर कैंसर के चरण का पता लगाने का नया तरीका विकसित किया है। एक्टोरियस इनोवेशन एंड रिसर्च के प्रमुख वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. जयंत खानडारे ने बताया कि पहले ट्यूमर के आकार के आधार पर कैंसर के चरण का आकलन किया जाता था।
खानडारे ने बताया कि हमने स्थापित किया कि सिर और गले का कैंसर भी अन्य ठोस ट्यूमर की तरह प्रणालीगत तरीके से खून के रास्ते फेफड़े, स्तन, गुदा आदि अंगों तक पहुंचता है। अभी तक माना जाता था कि सिर और गले का कैंसर अन्य हिस्सों तक नहीं फैलता है।
उन्होंने बताया कि उनके अध्ययन को हाल में अमेरिका के मियामी में आयोजित लिक्विड बायोप्सी कॉन्फ्रेंस में अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ कैंसर रिचर्स ने भी मान्यता दी है।
खानडारे ने बताया कि मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में प्रमुख कैंसर विशेषज्ञ डॉ. पंकज चतुर्वेदी की मदद से इस तरीके का परीक्षण किया गया। अध्ययन के दौरान पाया गया कि कीमोथैरेपी से इलाज करने वाले मरीजों के खून में परिसंचारी ट्यूमर कोशिकाओं (सीटीसी) के स्तर पर इलाज नहीं कराने वाले मरीजों के मुकाबले 22 फीसदी की कमी आई।
उन्होंने बताया कि जिन मरीजों में कैंसर आखिरी चरण में होता है, उनके खून में सीटीसी का स्तर 35 फीसदी तक होता है जबकि शुरुआती दौर में यह स्तर 15 फीसदी के करीब होता है। यह इंगित करता है कि सीटीसी का गले और कैंसर के चरण से सीधा संबंध है।
उल्लेखनीय है कि भारत में सबसे अधिक सिर और गले का कैंसर होता है और इनमें से भी 30 फीसदी कैंसर के मामलों के पीछे तंबाकू और शराब का सेवन कारण होता है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर कैंसर रिसर्च के मुताबिक भारत में हर साल 2.7 लाख नए कैंसर के मामले दर्ज होते हैं और 1.7 लाख लोगों की इस बीमारी से असमय मौत हो जाती है।