नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को उसकी जान-पहचान की एक 4 साल की लड़की से बलात्कार करने और उससे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के जुर्म में मिली 10 साल की कैद की सजा बरकरार रखी है। अदालत ने कहा कि निर्बोध बच्चों के साथ यौन अपराध करने वाला ऐसा अपराधी किसी भी नरमी का पात्र नहीं है।
न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर ने निचली अदालत के इस निष्कर्ष पर मुहर लगाई कि बच्ची की मां द्वारा खासकर उसे (अभियुक्त) को फंसाने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि वह उसे अपना भाई समझती थी। यह घटना नवंबर 2013 की है। इस वारदात से पहले बच्ची की मां ने अभियुक्त के साथ 'भैयादूज' मनाया था।
बच्ची की मां ने 28 दिसंबर 2013 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि 5 नवंबर को जब वह भैया दूज के मौके पर अभियुक्त से मिलने दक्षिण दिल्ली के मुनीरका गई थी तब यह वारदात हुई।
भैयादूज के बाद इस व्यक्ति ने उससे कहा कि उसकी मां ने उन्हें (उसे और उसके बच्चों को) घर पर बुलाया है। महिला और उसका नाबालिग बेटा आगे बढ़ गया जबकि आरोपी पीड़िता के साथ देरी से घर पहुंचा। बच्ची को परेशान देख महिला ने उससे वजह पूछी। बच्ची ने आरोपी के करतूतों के बारे में अपनी मां को बताया।
पुलिस के अनुसार आरोपी बच्ची को किसी सुनसान जगह पर ले गया, वहां उसने उससे बलात्कार किया और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाया। उसने उसे धमकी दी कि यदि उसने इसके बारे में किसी को बताया तो वह उसकी मां और भाई को मार देगा। (भाषा)