मुंबई। भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि वह राजनीति में रहने के बजाय घर जाकर खाना पकाएं। इस बयान पर राकांपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
पाटिल ने भाजपा की मुंबई इकाई की ओर से स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने की मांग को लेकर किए जा रहे एक प्रदर्शन के दौरान बुधवार को यह टिप्पणी की।
बहरहाल, भाजपा नेता ने गुरुवार को कहा कि वह ग्रामीण शैली में बोल रहे थे और उनका मतलब महिलाओं या सुले का अपमान करने का नहीं था। सुले राकांपा प्रमुख शरद पवार की बेटी हैं। पाटिल ने कहा, जब भी मैं सुले से मिलता हूं, हम सम्मान के साथ एक-दूसरे को अभिवादन करते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनावों में ओबीसी को आरक्षण देने की हाल में इजाज़त दे दी थी। इसके बाद सुले ने कहा था कि उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिल्ली यात्रा के दौरान उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने यह जानकारी नहीं दी कि आरक्षण की मंजूरी हासिल करने के लिए उन्होंने क्या किया।
महाराष्ट्र में शिवसेना नीत महा विकास आघाडी की गठबंधन सरकार है, जिसमें सुले की पार्टी राकांपा एक अहम घटक है।
पाटिल ने बुधवार को भाजपा के प्रदर्शन के दौरान सुले पर निशाना साधते हुए कहा, आप (सुले) राजनीति में क्यों हैं, घर जाकर बस खाना बनाइए। दिल्ली जाइए या कब्रिस्तान में, लेकिन हमें ओबीसी आरक्षण दिला दें। लोकसभा सदस्य होने के बावजूद, आपको इसकी जानकारी कैसे नहीं है कि मुख्यमंत्री से मिलने का समय कैसे लिया जाता है।
पाटिल की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राकांपा की महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष विद्या चव्हाण ने भाजपा नेता का नाम लिए बिना कहा कि एक व्यक्ति जिसने एक महिला विधायक का टिकट काट कर उनकी सीट से खुद चुनाव लड़ा, वह एक ऐसी सांसद का अपमान कर रहा है, जिन्हें दो बार (अच्छे प्रदर्शन के लिए) संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि आप मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, लेकिन हम अब चुप नहीं रहेंगे। राकांपा नेता ने कहा, उन्हें (पाटिल को) रोटी बनानी सीखनी चाहिए, ताकि वह घर पर अपनी पत्नी की मदद कर सकें।
गौरतलब है कि कोल्हापुर के रहने वाले पाटिल ने पुणे की कोथरूड सीट से 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, जहां भाजपा की उस समय की विधायक मेधा कुलकर्णी का टिकट काट दिया गया था।
सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले ने भी पाटिल की टिप्पणी की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, यह भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हैं जो सुप्रिया के बारे में बोल रहे हैं। मैंने हमेशा कहा है कि वे (भाजपा) नारी द्वेषी हैं और जब भी मौका लगता है कि महिलाओं को नीचा दिखाते हैं।
उन्होंने कहा, मुझे अपनी पत्नी पर गर्व है जो एक गृहिणी, मां और एक सफल नेता हैं, जो भारत की कई अन्य मेहनती और प्रतिभाशाली महिलाओं में से एक हैं। यह सभी महिलाओं का अपमान है। बहरहाल, पाटिल ने गुरुवार को दावा किया कि उनकी टिप्पणी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, मेरे शब्द महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में आमतौर पर बोली जाने वाली शैली का हिस्सा थे। गांवों में अगर बच्चे कुछ चीज़ें नहीं करते हैं तो महिलाएं उन्हें कब्रिस्तान जाने के लिए कहती हैं।
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि खाना पकाने वाली टिप्पणी को छोड़कर उनके बयान में महिलाओं का अपमान करने या उनके प्रति असंवेदनशील होने जैसा कुछ नहीं है।
पाटिल ने कहा, 'कब्रिस्तान में जाओ' टिप्पणी के मामले में भी ऐसा ही है। नगर निकायों (चुनावों) में ओबीसी आरक्षण हासिल करने में एमवीए सरकार की विफलता ने मुझे यह कहने के लिए प्रेरित किया। ऐसे शब्दों का प्रयोग करने वाले बहुत से लोग आपको मिल जाएंगे।
पाटिल ने यह भी कहा कि सदानंद सुले को ग्रामीण जीवन सीखना चाहिए। उन्होंने कहा, ग्रामीण इलाकों में ऐसी कई कहावतें हैं...मेरी टिप्पणियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। यहां तक कि सुप्रिया सुले ने भी मेरी टिप्पणियों पर ध्यान से प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मुझे टिप्पणी करने का अधिकार है।(भाषा)