बेंगलुरु। भाजपा के भीतर जहां इस बात की चर्चाएं हो रही हैं कि क्या कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की विदाई हो सकती है वहीं पार्टी के भीतर इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि उनका संभावित उत्तराधिकारी कौन हो सकता है?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में 26 जुलाई को अपने मौजूदा कार्यकाल का 2 साल पूरा करने जा रहे येदियुरप्पा इन खबरों को खारिज कर चुके हैं कि केंद्रीय नेतृत्व उनकी जगह किसी और लाने के बारे में विचार कर रहा है। लिंगायत समुदाय के ताकतवर नेता 78 वर्षीय येदियुरप्पा के संभावित उत्तराधिकारी को लेकर कई नामों पर कयास लगाए जा रहे हैं।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस पद की आकांक्षा रखने वाले लोगों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन भाजपा के सामने चुनौती येदियुरप्पा के स्थान पर ऐसे व्यक्ति को लाने की है जो उनके विशाल कद के अनुरूप हो। ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा पार्टी नेतृत्व में पीढीगत बदलाव और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण चाहती है किंतु बदलाव के रूप में राज्य में ऐसा नेता तलाशना कभी आसान काम नहीं रहा है जो निर्विवाद जन नेता हो।
भाजपा को नेतृत्व परिवर्तन के साथ संतुलन भी बनाना होगा क्योंकि यह कदम उठाते समय उसे इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि इस कदम से उसका मूल मतदाता आधार विशेषकर वीरशैव-लिंगायत समुदाय अप्रसन्न ना हो जाए जिन पर येदियुरप्पा का खासा प्रभाव है।
एक अनुमान के मुताबिक राज्य की आबादी में वीरशैवा-लिंगायत समुदाय की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है और माना जाता है कि यह समुदाय राज्य में भाजपा का मूल मतदाता आधार है। इस समुदाय का एक बड़ा वर्ग येदियुरप्पा को बदलने के पक्ष में नहीं है।
ऐसी भी खबरें है कि भाजपा, मुख्यमंत्री पद के लिए कोई बिलकुल ही नया नाम घोषित कर सकती है, जैसा कि उसने कुछ राज्यों में यह प्रयोग किया है। कर्नाटक में येदियुरप्पा के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में जिन लोगों के नाम चल रहे हैं, उनमें केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजन सचिव बीएल संतोष का नाम प्रमुख है।
जोशी और संतोष ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जबकि रवि चिक्कामंगलुरु से विधायक हैं और राज्य के दूसरे प्रभावशाली समुदाय वोक्कालिगा से आते हैं। यह समुदाय अधिकतर दक्षिण कर्नाटक में केंद्रित है जहां पर पार्टी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। एक अन्य ब्राह्मण नाम जिस पर चर्चा हो रही है, वह हैं राज्य विधानसभा के मौजूदा स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागरी। राज्य में वर्ष 1988 में रामकृष्ण हेगड़े के बाद से कोई भी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं बना है।
येदियुरप्पा की सार्वजनिक आलोचना करने वाले और उनको हटाने की मांग कर चुके वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने संकेत दिया है कि मुख्यमंत्री पद के लिए आश्चर्य में डालने वाले किसी नाम को चुना जा सकता है। हाल में उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री हिंदुत्व की विचारधारा वाले ईमानदार व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के लिए चुनेंगे, जो अगले चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करेगा।
अगर पार्टी येदियुरप्पा के स्थान पर किसी अन्य वीरशैव-लिंगायत समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाती है तो संभावित नामों के तौर पर खनन मंत्री मुरुगेश निरानी और विधायक अरविंद बेल्लाद का नाम सामने आ रहे हैं। पेशे से व्यवसायी निरानी के हाल में कई बार दिल्ली के के दौरों के कारण लोगों की निगाहें उनकी ओर गयी हैं।
बेल्लाद हुबली-धारवाड पश्चिमी सीट से विधायक हैं जिन्हें उन असंतुष्ट विधायकों में माना जाता है जो येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते हैं। बेल्लाद ने हाल में आरोप लगाया था कि उनका फोन टैप किया जा रहा है और सरकार उन्हें किसी मामले में फंसा सकती है। यतनाल का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में आ रहा है। वह वीरशैव-लिंगायत समुदाय से आते हैं।
सरकार द्वारा उनको फंसाये जाने की उनके द्वारा व्यक्त की गयी आशंका के कारण पार्टी और सरकार को असहज होना पड़ा है और यह बयान उनके खिलाफ जा सकता है। यतनाल ने हाल में स्पष्ट किया था कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं।
मौजूदा सरकार में गृहमंत्री बसावाराज एस बोम्मई (लिंगायत), राजस्व मंत्री आर अशोक और उप मुख्यमंत्री सीएन अश्वत्थ नारायण (वोक्कालिगा) के नामों की चर्चा भी मुख्यमंत्री पद को लेकर है। उत्तरी कर्नाटक से लिंगायत नेता एवं मौजूदा सरकार में उद्योग मंत्री जगदीश शेट्टार को भी इस दौड़ में बताया जा रहा है। शेट्टार पहले भी राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने किया इंकार : पूर्व केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्रीय नेतृत्व राज्य में विकास गतिविधियों और कोविड-19 से निपटने के प्रयासों से संतुष्ट है।
राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच बेंगलुरु उत्तर से भाजपा सांसद गौड़ा ने यहां पत्रकारों से कहा, मुझे नहीं लगता कि नेतृत्व परिवर्तन के बारे में चल रही चर्चा में कोई सच्चाई है क्योंकि ये ऐसे निर्णय हैं जो हमारे केंद्रीय स्तर के नेताओं द्वारा राज्यों में राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि उनके पास जानकारी है कि मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तृत तौर पर अवगत कराये जाने के बाद अब तक ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ है। गौड़ा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए कदम और विकास गतिविधियों में कर्नाटक की प्रगति की सराहना की गई है और उन्हें हटाने का कोई कारण नहीं है।
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। ये सभी अटकलें हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील की उस कथित ऑडियो, जिसमें उन्होंने नेतृत्व परिवर्तन और एक नई टीम के गठन की ओर इशारा किया है, के बारे में पूछे जाने पर गौड़ा ने कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन्होंने खुद इसे फर्जी बताकर इसे खारिज कर दिया है।
गौड़ा ने कहा कि राज्य के लोग येदियुरप्पा की नीतियों और उनके शासन के तरीके के कारण उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। बाकी राष्ट्रीय स्तर के नेताओं पर छोड़ दिया गया है।