जम्मू। बकौल भारतीय सेना के पाक सेना एलओसी पर बॉर्डर रेडर्स के सदस्यों के जरिए बैट अर्थात कमांडो कार्रवाइयों को अंजाम देना चाहती है। सोमवार को राजौरी जिले में नौशहरा के झंगड़ सेक्टर में पकड़े गए लश्करे तैयबा के घुसपैठिए ने पूछताछ में जो राज उगला है, उसने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। यह घुसपैठिया पाक कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के सबजाकोट का रहने वाला तबरीक हुसैन है।
उसका कहना है कि एलओसी के पार पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) के सदस्य भी सीमा पार कर भारतीय क्षेत्र में हमले करने के लिए मौके की ताक में बैठे हुए हैं। ये भारतीय सेना के जवानों पर हमले की तैयारी में हैं। इस टीम में आतंकी, पाकिस्तानी सेना के कमांडो तक शामिल हैं। इन्हें इस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है कि ये भारतीय क्षेत्र में हमले को अंजाम देने के बाद वापस अपने क्षेत्र में भाग सकें।
हालांकि पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, फिर भी जम्मू-कश्मीर में एलओसी से सटे इलाकों में बढ़े तनाव के बीच सेनाधिकारियों ने बताया कि उन्हें प्राप्त सूचना के मुताबिक पाकिस्तान एलओसी पर और अधिक कमांडो हमले की कोशिश कर रहा है। बॉर्डर रेडर्स के नाम से जाने जाने वाले यह कमांडो पाकिस्तान के विशेष बलों के कर्मियों और आतंकियों का एक मिलाजुला स्वरूप है। पिछले कुछ सालों में पाक बॉर्डर रेडर्स भारत के कई सैनिकों की नृशंस हत्या कर चुका है और कइयो के सिर भी काटकर ले जा चुका है।
इतना जरूर था कि बॉर्डर रेडर्स के हमले ज्यादातर एलओसी के इलाकों में ही हुए थे। इंटरनेशनल बॉर्डर पर पाक सेना ऐसी हिम्मत नहीं दिखा पाई थी जबकि राजौरी और पुंछ के इलाके ही बॉर्डर रेडर्स के हमलों से सबसे अधिक त्रस्त इसलिए भी रहे थे, क्योंकि एलओसी से सटे इन दोनों जिलों में कई फॉरवर्ड पोस्टों तक पहुंच पाना दिन के उजाले में संभव इसलिए नहीं होता था, क्योंकि पाक सेना की बंदूकें आग बरसाती रहती थी।
बॉर्डर रेडर्स के हमलों को कश्मीर सीमा पर स्थित सैन्य पोस्टों में तैनात जवानों ने भी सीजफायर से पहले की अवधि में सहन किया है। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक भारतीय इलाके में घुसकर भारतीय जवानों के सिर काटकर ले जाने की घटनाओं को भी इन्हीं बॉर्डर रेडर्स ने अंजाम दिया था। जबकि 14 साल पहले उड़ी की एक उस पोस्ट पर कब्जे की लड़ाई में भारतीय वायुसेना को भी शामिल करना पड़ा था जिसे भारतीय सैनिकों ने भयानक सर्दी के कारण खाली छोड़ दिया था।
वैसे एलओसी पर बॉर्डर रेडर्स के हमले कोई नए भी नहीं हैं। इन हमलों के पीछे का मकसद हमेशा ही भारतीय सीमा चौकियों पर कब्जा जमाना रहा है। पाकिस्तानी सेना की कोशिश कोई नई नहीं है। करगिल युद्ध की समाप्ति के बाद हार से बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने बॉर्डर रेडर्स टीम का गठन कर एलओसी पर ऐसी बीसियों कमांडो कार्रवाईयां करके भारतीय सेना को जबर्दस्त क्षति सहन करने को मजबूर किया है।
एलओसी पर 2 घुसपैठिए ढेर : एलओसी पर आज हुई घुसपैठ की कोशिश में 2 घुसपैठिए मारे गए है जिनके शवों को सेना ने क्वाडकॉप्टर की मदद से एलओसी में पड़ा हुआ देखा है जिसके बाद उनके शवों को रिट्रीव करने की कोशिश में कामयाबी मिली थी। साथ ही पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन भी चलाया जा रहा है ताकि देखा जा सके की कोई अन्य घुसपैठिए इलाके में मौजूद तो नहीं है।
सेना प्रवक्ता ने बताया कि नौशहरा सेक्टर में एलओसी पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। एलओसी पर सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की कोशिश कर रहे 2 लोगों को ढेर कर दिया है। सर्च अभियान के दौरान दोनों घुसपैठियों के शव बरामद कर लिए गए हैं।
रक्षा सूत्रों का कहना है कि जैसे ही इन आतंकियों ने एलओसी को पार कर भारतीय सीमा में प्रवेश किया, 2 आतंकी बारूदी सुरंग की चपेट में आ गए। विस्फोट के बाद भारतीय जवान सतर्क हो गए। उन्होंने उस ओर गोलीबारी भी की, जहां बारूदी सुंरग में विस्फोट हुआ था। विस्फोट के बाद अन्य आतंकी वापस पाकिस्तानी सीमा में लौट गए। उनकी संख्या 4 से 5 बताई जा रही है।
याद रहे भारत-पाकिस्तान एलओसी के नौशहरा सेक्टर में सेना ने सोमवार को फिदायीन हमले की बड़ी साजिश को नाकाम कर हमले के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित आतंकी को पकड़ा था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने पहली बार फिदायीन हमले के लिए नया हथकंडा अपनाकर फिदायीन को बिना हथियार घुसपैठ कराने की कोशिश की थी।
लद्दाख में चीन सीमा के कई क्षेत्रों में अभी भी तनाव कायम : 16 दौर की वार्ता के बाद भी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर अभी भी कई इलाकों में दोनों पक्षों के बीच तनातनी का माहौल है। समझौतों के बावजूद चीनी सेना आक्रामक रुख अपनाते हुए उकसाने वाली कार्रवाईयां कर रही है।
दरअसल दोनों सेनाओं के बीच हुए समझौतों के बावजूद चीन ने फिलहाल उन क्षेत्रों को पूरी तरह से खाली नहीं किया है, जहां विवाद चल रहा है। कई इलाकों में वह कुछ मीटर पीछे हटकर जम गई थी तो कई इलाकों में वह आ-जा रही है।
एक सेनाधिकारी के बकौल, भारतीय पक्ष भी समझौता तोड़ने पर मजबूर हो सकता है, क्योंकि लद्दाख के कई इलाकों में चीनी सेना की मौजूदगी भारतीय पक्ष के लिए खतरा साबित हो सकती है। वे मानते थे कि चीनी सेना की इन हरकतों और समझौतों का पालन न करने की परिस्थिति में भारतीय सेना ने भी अब तीसरी सर्दियों में भी लद्दाख के इन सेक्टरों में डटे रहने और भारतीय सीमा की रक्षा करने की तैयारियां आरंभ कर दी हैं।
रक्षाधिकारी मानते थे कि चीनी रवैए से यही लगता है कि लद्दाख सीमा का विवाद लंबा चलेगा।
ऐसे विवाद कई पेट्रोलिंग प्वॉइंटों पर हैं। कई इलाकों मेंहालांकि समझौतों के अनुरूप चीनी सेना ने कदम पीछे हटाए जरूर, पर वे नगण्य ही माने जा सकते हैं। गलवान वैली में वह 1 किमी पीछे तो गई पर उसने बफर जोन बनवाकर एलएसी को ही सही मायने में 1 किमी भारतीय क्षेत्र में धकेल दिया।
फिंगर 4 के इलाके को ही लें, चीनी सेना मात्र कुछ मीटर पीछे हट कर पहाड़ियों पर लाभप्रद स्थिति में आ डटी और वहां से गुजरने वाल भारतीय सेना के गश्ती दल उसके सीधे निशाने पर आ गए। नतीजा सामने है। सेना के शब्दों में गश्त फिलहाल अस्थायी तौर पर स्थगित की गई है। उनके मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया ताकि चीनी सेना समझौते का पालन कर सके और उनकी वापसी की कार्रवाई के दौरान किसी पक्ष की ओर से कोई उकसावे वाली कार्रवाई न हो सके।