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बदलापुर यौन शोषण मामला स्तब्धकारी, लड़कियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं

बंबई हाईकोर्ट की पुलिस को फटकार

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 22 अगस्त 2024 (15:22 IST)
Badalapur case : बंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले में बदलापुर कस्बे के एक स्कूल में 2 बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटना को स्तब्धकारी करार दिया। अदालत ने कहा कि लड़कियों की रक्षा और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। ALSO READ: FIR दर्ज कराने के लिए क्या करने पड़ेंगे आंदोलन, बदलापुर कांड को लेकर फूटा राहुल गांधी का गुस्सा
 
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि घटना की जानकारी होने के बावजूद मामला दर्ज न करने के लिए स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लिए पुलिस की भी आलोचना की।
 
बंबई उच्च न्यायालय ने ठाणे जिले के एक स्कूल के शौचालय में पुरुष सहायक द्वारा 12 और 13 अगस्त को चार साल की 2 बच्चियों के यौन उत्पीड़न के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, इस मामले में प्राथमिकी 16 अगस्त को दर्ज की गई और आरोपी को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया।
 
पीठ ने कहा कि जब तक जनता ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन नहीं किया और आक्रोश नहीं दिखाया तब तक पुलिस तंत्र आगे नहीं बढ़ा। अदालत ने प्रश्न किया कि जब तक जनता जबरदस्त आक्रोश नहीं दिखाए तब तक क्या तंत्र सक्रिय नहीं होगा। या जनता के इस प्रकार के आक्रोश के बिना राज्य सक्रिय नहीं होगा। वह यह जानकार स्तब्ध है कि पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की।
 
अदालत ने सवाल किया कि जहां तीन से चार साल की छोटी बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया गया हो, वैसे गंभीर मामले को पुलिस इतने हल्के में कैसे ले सकती है। अगर स्कूल सुरक्षित जगह नहीं हैं तो बच्चे क्या करें? तीन, चार साल के बच्चे ने क्या किया? यह बिल्कुल स्तब्धकारी (घटना) है। ALSO READ: Thane protest : बदलापुर कांड से भड़के लोग, स्टेशन पर किया कब्‍जा, पुलिस पर पथराव, प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज
 
पीठ ने कहा कि बदलापुर पुलिस ने मामले में जैसा रुख दिखाया उससे वह जरा भी ‘खुश’ नहीं है। हम केवल यह देखना चाहते हैं कि पीड़ित बच्चियों को न्याय मिले और पुलिस को भी इतने में ही दिलचस्पी होनी चाहिए। पीठ ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पीड़ितों और उनके परिवारों को हरसंभव सहायता दी जाए। पीड़ितों को और अधिक परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
 
उसने अपनी टिप्णी में यह भी कहा कि इस मामले में बच्चियों ने शिकायत कर दी, लेकिन ऐसे कितने मामले होंगे, जिनके बारे में कुछ भी पता नहीं। पहली बात यह है कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए थी। (लेकिन) स्कूल प्रशासन चुप्पी साधे रहा। इससे लोग आगे आने से हतोत्साहित होते हैं।
 
पीठ ने मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को 27 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें बताया जाए कि लड़कियों और उनके परिवारों के बयान दर्ज करने के लिए उसने क्या कदम उठाए।
 
अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि बदलापुर पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने और दूसरी पीड़िता का बयान दर्ज करने में देरी क्यों हुई। अदालत ने कहा कि हम इस बात से स्तब्ध हैं कि बदलापुर पुलिस ने आज तक दूसरी बच्ची का बयान लेने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
 
अदालत ने कहा कि अगर उसे पता चला कि मामले को दबाने की कोशिश की गई है तो वह संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।
 
उच्च न्यायालय ने कहा कि हमें यह भी बताएं कि लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है। इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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