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भागलपुर में 302 करोड़ की सरकारी राशि का गबन

हमें फॉलो करें भागलपुर में 302 करोड़ की सरकारी राशि का गबन
, गुरुवार, 10 अगस्त 2017 (22:33 IST)
पटना। बिहार सरकार ने आज कहा कि भागलपुर जिले में हाल में प्रकाश में आए सरकारी राशि के गबन का मामला अब 302 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है और इस मामले में दोषियों के खिलाफ तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। 
                     
मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि चार अगस्त को भागलपुर में सरकारी राशि के गबन का मामला सामने आया था और इसकी जांच का जिम्मा बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को दिया गया है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान जुटाए गए तथ्यों से यह पता चलता है कि 302.70 करोड़ रुपए की सरकारी राशि का गबन किया गया है। 
                    
सिंह ने कहा कि भागलपुर जिले में विभिन्न बैंकों के सरकारी खाते में भू-अर्जन, नगर विकास और जिला प्रशासन की राशि जमा कराई गई थी लेकिन इसे फर्जी तरीके से निकासी कर स्वयंसेवी संस्था सृजन महिला समिति के खाते में जमा करा दिया गया। उन्होंने कहा कि चार अगस्त को एक चेक के अमान्य किए जाने पर यह मामला सामने आया और जिला प्रशासन ने इसकी जांच अपने स्तर से कराई थी।
 
मुख्य सचिव ने कहा कि भू-अर्जन के लिए 270 करोड़, नगर विकास योजना के लिए 17.70 करोड़ और नजारत खाते में 15 करोड़ रुपए सरकारी राशि जमा कराया गया था। फर्जी तरीके से इस राशि को निकाल कर सृजन के खाते में जमा करा दिया गया। उन्होंने कहा कि मनोरमा देवी इस संस्था की संस्थापक थी, जिनका निधन हो गया है और अब उनके पुत्र अमित कुमार एवं पुत्रवधु इसे चला रहे हैं। 
                       
सिंह ने कहा कि जांच के दौरान बैंक के अधिकारी, बिहार सरकार के अधिकारी और सृजन के लोगों की संलिप्तता इस घोटाले में पाई गई है। उन्होंने कहा कि इस मामले में भागलपुर में अलग-अलग तीन प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। उन्होंने कहा कि अमित और उसकी पत्नी तथा सृजन से जुड़े कई अन्य लोग इस मामले के प्रकाश में आने के बाद से फरार हैं। 
           
मुख्य सचिव ने कहा कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि कोई दोषी फरार हो गया है तो उसे भी निश्चित रूप से गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिना बैंक और सरकारी अधिकारी की मिलीभगत से इतनी बड़ी राशि को फर्जी तरीके से नहीं निकाला जा सकता है।
          
सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, लघु सिंचाई, भवन निर्माण और अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग की समीक्षा भी की। उन्होंने कहा कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सिंचाई के लिए सरकारी नलकूपों को चलाए जाने की जिम्मेवारी स्थानीय समूह या वहां के युवकों को दिया जाएगा। 
                    
मुख्य सचिव ने कहा कि जिन्हें सरकारी नलकूपों को चलाने की जिम्मेदारी दी जाएगी, वह सिंचाई के लिए पानी इस्तेमाल करने वालों से राजस्व की वसूली भी करेंगे। उन्होंने कहा कि बोरिंग कराए जाने के पूर्व अब अनुमति लिए जाने का प्रावधान सुनिश्चित करने संबंधी प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। 
                 
सिंह ने कहा कि पटना में अबुल कलाम साइंस सिटी, दरभंगा में तारामंडल और गया में भी सब रिजनल साइंस सेंटर की स्थापना की जाएगी ताकि युवाओं में विज्ञान के प्रति जागरुकता पैदा की जा सके। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना फिर से शुरु की गई है जो पूर्व में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के चालू होने के बाद बंद कर दिया गया था। छात्रों को क्रेडिट कार्ड योजना या पोस्ट मैट्रीक छात्रवृत्ति योजना चुनने का विकल्प उपलब्ध होगा। (वार्ता)

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