वाराणसी। उत्तरप्रदेश सरकार ने कथित छेड़छाड़ के एक मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्रों पर लाठीचार्ज किए जाने के संबंध में 3 अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट और 2 पुलिसकर्मियों को सोमवार को हटा दिया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि लंका पुलिस थाना प्रभारी राजीव सिंह को हटाकर पुलिस लाइन भेज दिया गया है। जैतपुरा पुलिस थाना प्रभारी संजीव मिश्रा को उनकी जगह पर तैनात किया गया है। इसके अलावा भेलूपुर के क्षेत्राधिकारी निवेश कटियार को हटाकर उनके स्थान पर कोतवाली क्षेत्राधिकारी अयोध्या प्रसाद को नियुक्त किया गया है।
वाराणसी के जिला सूचना कार्यालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 3 अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट मनोज कुमार सिंह, सुशील कुमार गोंड और जगदम्बा प्रसाद सिंह को भी हटा दिया गया है।
कथित छेड़खानी की एक घटना के खिलाफ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में शनिवार रात को छात्रों के विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। इन प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज में महिलाओं समेत कई छात्र और 2 पत्रकार भी घायल हुए थे।
हिंसा तब शुरू हुई जब गुरुवार को हुई कथित छेड़खानी का विरोध कर रहे कुछ छात्र विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलना चाहते थे। सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय के सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोका और पुलिस को सूचित किया गया।
बीएचयू के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ छात्र कुलपति के आवास में जबरन प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन विश्वविद्यालय के सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोका। इसके बाद छात्रों में शामिल हो गए बाहरी लोगों ने पथराव किया। हालात पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज का सहारा लिया।
पुलिस के लाठीचार्ज में महिलाओं समेत कई छात्र और 2 पत्रकार घायल हो गए। पुलिस सूत्रों ने बताया कि संघर्ष के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए। इस दौरान छात्रों ने आगजनी भी की। हिंसा के मद्देनजर जिला प्रशासन ने वाराणसी के सभी कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में 2 अक्टूबर तक छुट्टियों की घोषणा कर दी है। बीएचयू में पहले 28 सितंबर से छुट्टी होने वाली थी।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभागीय आयुक्त से घटना के बारे में रिपोर्ट मांगी है। समाजवादी पार्टी समेत विभिन्न दलों ने इस मामले में पुलिस की कार्रवाई और सरकार की निंदा की है।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने लखनऊ में रविवार को कहा कि मैंने वाराणसी के संभागीय आयुक्त से समूची घटना के बारे में रिपोर्ट मांगी है। पत्रकारों पर कथित लाठीचार्ज के विरोध में लखनऊ में कुछ पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास के सामने धरना दिया। बाद में उन्होंने दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट में कहा कि सरकार को लाठीचार्ज के जरिए नहीं बल्कि बातचीत के जरिए मुद्दे का समाधान करना चाहिए। यह (कार्रवाई) निंदनीय है। दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इस बीच बीएचयू जाने की कोशिश करने पर कांग्रेस के राजबब्बर और पी एल पूनिया सहित कई नेताओं को रविवार को हिरासत में ले लिया गया। इन सभी को कुछ देर बाद छोड़ दिया गया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की छात्राओं पर लाठीचार्ज के लिए भाजपा की निंदा की। गांधी ने ट्वीट किया, बीएचयू में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का भाजपा वाला रूप। उन्होंने इस ट्वीट के साथ वह वीडियो लिंक शेयर किया जिसमें छात्राओं ने परिसर में पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा उन्हें कथित रूप से पीटे जाने का आरोप लगाया।
बीएचयू ने एक वक्तव्य जारी करके कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा से ठीक पहले धरना विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने के लिए राजनीति से प्रेरित था। विश्वविद्यालय ने यह भी कहा कि सुरक्षा गार्ड परिसर में नियमित गश्त लगा रहे हैं और परिसर में शांति कायम रखने के लिए पुलिस से समय-समय पर सहायता मांगी गई है।
कानून व्यवस्था बहाल रखने के लिए पीएसी जवानों समेत तकरीबन 1500 पुलिसकर्मियों को परिसर में और उसके आस-पास तैनात किया गया है। विरोध प्रदर्शन की शुरुआत तब हुई जब कला संकाय की एक छात्रा अपने छात्रावास लौट रही थी, उसी वक्त मोटरसाइकिल सवार 3 लोगों ने कथित तौर पर उसका उत्पीड़न किया।
शिकायतकर्ता के अनुसार जब उसने उनके प्रयासों का प्रतिकार किया तो 3 लोगों ने उसके साथ गाली-गलौज की और उसके बाद भाग गए। महिला ने आरोप लगाया कि घटनास्थल से तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर मौजूद सुरक्षा गार्डों ने उन लोगों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया।
उसने अपने वरिष्ठ छात्रों को इस बारे में बताने की जगह वार्डन को घटना की जानकारी दी। वार्डन ने इसपर उससे पूछा कि वह इतनी देर से हॉस्टल क्यों लौट रही थी। वार्डन के जवाब ने छात्रा के साथियों को नाराज कर दिया और वे गुरुवार की मध्यरात्रि को परिसर के मुख्य द्वार पर धरना पर बैठ गए।
बीएचयू छात्राओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें परिसर में नियमित छेड़खानी करने वालों का सामना करना पड़ता है और विश्वविद्यालय प्रशासन असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। (भाषा)