मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने नींबू मांगने के लिए आधी रात को किसी महिला के घर का दरवाजा खटखटाने को बेतुका और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक कर्मी के लिए अशोभनीय करार दिया। अदालत ने इस हरकत के लिए कर्मी पर लगाए गए जुर्माने को रद्द करने से भी इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एमएम सथाए की खंडपीठ ने 11 मार्च के अपने आदेश में कहा कि सीआईएसएफ के याचिकाकर्ता सिपाही ने तथाकथित घटना से पहले शराब पी थी और उसे यह भी पता था कि महिला का पति घर पर मौजूद नहीं है। महिला का पति आरोपी का सहकर्मी है, जो पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान ड्यूटी पर था।
अदालत घटना के समय मुंबई में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) में तैनात अरविंद कुमार (33) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी अरविंद ने जुलाई 2021 और जून 2022 के बीच सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उस पर लगाए गए जुर्माना की कार्रवाई को चुनौती दी थी।
अरविंद का वेतन तीन वर्षों के लिए कम कर दिया गया और इस दौरान सजा के तौर पर उसके वेतन में वृद्धि भी नहीं की गई। अरविंद पर आरोप है कि 19 और 20 अप्रैल 2021 के बीच की रात उसने अपने आधिकारिक आवासीय क्वार्टर के पड़ोस के घर का दरवाजा खटखटाया, जिसमें शिकायतकर्ता महिला और उसकी छह वर्षीय बेटी रहती थी।
शिकायतकर्ता महिला के मुताबिक, वह डर गई थी और उसने कुमार से कहा कि उसका पति पश्चिम बंगाल में ड्यूटी पर है और इसलिए उसे परेशान न करे। महिला द्वारा चेतावनी और धमकी दिए जाने के बाद अरविंद वहां से चला गया।
कुमार ने अपने बचाव में दावा किया कि वह अस्वस्थ महसूस कर रहा था और उसने केवल नींबू मांगने के लिए पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया था।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने घटना से पहले शराब पी थी और उसे यह भी पता था कि शिकायतकर्ता महिला का पति उस समय घर पर मौजूद नहीं था।
पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता ने यह जानते हुए कि घर में पुरुष नहीं है फिर भी पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया, जहां एक महिला अपनी छह वर्षीय बेटी के साथ घर में रह रही थी और वो भी सिर्फ पेट खराब होने के कारण एक नींबू लेने के लिए, जो बिलकुल बेतुका है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता का आचरण सीआईएसएफ जैसे बल के एक अधिकारी के लिए अशोभनीय है। (भाषा)