अलीगढ़। एक शर्मनाक हरकत के तहत अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर मन्नान वानी की मौत का शोक मनाया गया। AMU के पूर्व छात्र मन्नान को गुरुवार को सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में मार गिराया।
एक जानकारी के मुताबिक एएमयू के केनेडी हॉल में 15 छात्र मन्नान वानी की मौत का शोक मनाने के लिए एकत्रित हुए थे। उनमें से तीन कश्मीरी छात्रों को जनाजे की नमाज पढ़ने की कोशिश करने के आरोप में यूनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि 4 को नोटिस जारी किया गया है। वानी एएमयू में रिसर्च स्कॉलर था और पढ़ाई बीच में छोड़कर हिज्बुल में शामिल हो गया था।
एएमयू के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवाई ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन को गुरुवार शाम खबर मिली थी कि जम्मू-कश्मीर के रहने वाले कुछ छात्र कैनेडी हाल के पास एकत्र हुए हैं और वे वानी की नमाज-ए-जनाज़ा पढ़ना चाहते हैं। इस पर विश्वविद्यालय के सुरक्षा स्टाफकर्मी मौके पर पहुंचे। इसी बीच, एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने हस्तक्षेप करते हुए कश्मीरी छात्रों को यह नमाज पढ़ने से रोका।
उन्होंने बताया कि छात्र संघ नेताओं ने कहा कि एक आतंकवादी के जनाजे की नमाज पढ़ना स्वीकार्य नहीं है और कश्मीरी छात्रों को ऐसा नहीं करने दिया जाएगा। एएमयू सुरक्षा स्टाफ ने भी उन्हें रोका। इस पर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस भी हुई, लेकिन कुछ देर बाद कश्मीरी छात्र वहां से चले गए।
किदवाई ने कहा कि एएमयू प्रशासन का स्पष्ट मानना है कि वह किसी भी राष्ट्रविरोधी गतिविधि को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि अवैध तरीके से भीड़ जमा करने के आरोप में विश्वविद्यालय के तीन छात्रों को निलम्बित कर दिया गया है।
पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिमायत करते हैं, लेकिन राष्ट्रद्रोह या आतंकवाद किसी भी हाल में सहन नहीं किया जाएगा। दहशतगर्दों के समर्थन का कोई भी कार्यक्रम विश्वविद्यालय परिसर में नहीं होने दिया जाएगा।
इस बीच, अलीगढ़ से भाजपा के सांसद सतीश गौतम ने आतंकवादी अब्दुल मन्नान वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश करने वाले छात्रों को एएमयू से निष्कासित करने की मांग की है। हालांकि उन्होंने वह नमाज पढ़ने से रोकने के लिए एएमयू छात्र संघ की सराहना भी की।