उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है। बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई और आज शाम तक गाजीपुर में उसके गृह ग्राम में उसको सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाएगा। मुख्तार अंसारी के साथ उत्तरप्रदेश में माफिया साम्राज्य के एक अध्याय का अंत हो गया है। मुख्तार अंसारी के खौफ का आंतक पूरे पूर्वांचल में था। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, जौनपुर व बनारस में मुख्तार अंसारी के खौफ का आतंक इस कदर था कि उसके खिलाफ दर्ज मामलों में पीड़ित गवाही देने से भी डरते थे। मुख्तार अंसारी के खौफ का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राजनीतिक पार्टियां पूर्वांचल में अपनी जड़े मजबूत करने के लिए उसके शरण में आती थी। मुख्तार का अपराध पार्टियों के लिए मायने नहीं रखता।
अपराध की दुनिया से सियासत का सफर-अपराध की दुनिया के बेताज बदशाह मुख्तार अंसारी का राजनीतिक रसूख कम नहीं था। भाजपा को छोड़कर उत्तरप्रदेश की सभी सियासी दलों ने मुख्तार अंसारी को खुला संरक्षण दिया। मुख्तार अंसारी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ था कि वह बिना राजनीतिक संरक्षण के अपनी अपराध की दुनिया नहीं चला सकता है। यहीं कारण है कि उसने अपराध के साथ-साथ सियासत की सीढ़ियां भी चढ़ने लगा। पहली बार मुख्तार अंसारी 1986 में पहली बार विधायक चुना गया। विधायक बनने के बाद मुख्तार अंसारी ने अपनी छवि बदलने की कोशिश की। उसने पूर्वांचल की राजनीति में अपनी छवि रॉबिनहुड बनाने की कोशिश की। वह अपने दरवाजे पर आने वाले लोगों की दिल खोलकर मदद करने लगा। एक फोन पर लोगों के काम होने लगे। लोग सरकारी दफ्तर जाने के बजाय मुख्तार के दरबार में आने लगे।
मुख्तार अंसारी ने समय के अनुसार पार्टिया भी खूब बदली। मुख्तार एक समय में समाजवादी पार्टी के आला नेताओं की आंख का तारा बना तो फिर उसे मायावती की पार्टी बसपा का खुला संरक्षण मिला। मुख्तार अंसारी के साथ उसके भाई अफजाल अंसारी भी सियासी मैदान में कूदे और अफजाल अंसारी वर्तमान में गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद भी है। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अफजाल अंसारी को गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। मुख्तार अंसारी की सियासी रसूख और उसकी सियासी महत्वाकांक्षा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने कौमी एकता दल के नाम से खुद की अपनी पार्टी भी बनाई थी।
Ak-47 से BJP विधायक कृष्णानंद राय की हत्या-उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट अपराधी मुख्तार अंसारी की गृह सीट थी। मोहम्मदाबाद में स्थित अपने पैतृक निवास से ही मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी पूरी पूर्वांचल की राजनीति को कंट्रोल रखते थे। एक समय में पूरे पूर्वांचल की राजनीति फाटक के अंदर शुरु होती थी और वहीं खत्म होती थी। इसी फाटक के पीछे लगता था मुख्तार अंसारी एवं उनके भाई अफजाल अंसारी का दरबार। 1985 से मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर अंसारी परिवार का ही कब्जा था। मुख्तार अंसारी के खौफ के कारण उसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता था।
वहीं साल 2002 में मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट की राजनीति करवट लेती है। पूर्वांचल के बाहुबली और भाजपा नेता कृष्णानंद राय ने मोहम्मदाबाद में अंसारी परिवार के अजेय रथ को रोकते हुए चुनाव में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को हरा दिया। यह हार मुख्तार अंसारी के साम्राज्य को सीधी चुनौती थी। इस हार से मुख्तार अंसारी हिल गया और उसने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की मौत का प्लान रच डाला।
भाजपा विधायक कृष्णानंद राय 25 नवंबर 2005 को एक गांव में होने जा रहॉ क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्धाटन करने जा रहे थे। हमेशा बुलेट फ्रूफ गाड़ी और बुलेट फ्रूफ जैकेट और हथियार बंद लोगों की सुरक्षा में चलने वाले भाजपा विधायक कृष्णानंद उस दिन साधारण गाड़ी से निकले थे। क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन के बाद कृष्णानंद राय वहां से जब वापस लौट रहे थे तभी भांवरकोल में एक एसयूवी में सवार मुन्ना बजरंगी और उसके गुर्गो ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को एके-47 से सरेआम गोलियों से भून दिया। एके-47 से हुई फायरिंग से मौके पर 500 से अधिक राउंड गोलियां चली। पोस्टमार्टम में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के शरीर से 60 से अधिक गोलियां बरामद हुई। इस हत्याकांड में विधायक कृष्णानंद राय के साथ पूर्व ब्लाक प्रमुख श्याम शंकर राय, भांवरकोल ब्लाक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव एवं उनके बॉडीगार्ड निर्भय नारायण उपाध्याय की हत्या की गई। इस हत्याकांड के बाद पूरा पूर्वांचल दहल उठा।
उत्तर प्रदेश की सियासत में ये सिर्फ एक हत्याकांड नहीं था बल्कि मुख्तार अंसारी ने इसके जरिए एक संदेश देने की कोशिश भी अगर कोई उसके साम्राज्य को चुनौती देगा तो उसको मौत के घाट उतारा दिया जाएगा। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की शिकायत पर बाहुबली मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी, माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी, अताहर रहमान उर्फ बाबू, संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा, फिरदौस एवं राकेश पांडेय पर केस दर्ज हुआ। एक विधायक की सरेआम हत्या और पूरा मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते पूरे मामले की जांच सीबीआई ने की। पूरे हत्याकांड के एक मात्र चश्मदीद गवाह शशिकांत राय की रहस्यमय मौत ने मुख्तार अंसारी को पूरे मामले में सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी करवा दिया।