मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर में चल रहे ओनीरोज 2017 में स्कूल ऑफ होटल मैनेजमेंट की ओर से प्रो. मनोज श्रीवास्तव के सान्निध्य में 7 फेकल्टी सदस्यों एवं 120 विद्यार्थियों ने 8 फीट लम्बा एवं 4 फीट चोड़ा तथा विश्व का सबसे वजनी 387 किलों का शाही टुकड़ा बनाकर एमयूजे में चौथा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।
चौथा वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने पर विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट प्रो. संदीप संचेती ने प्रो. मनोज श्रीवास्तव एवं उनकी टीम को बधाई दी है। गौरतलब है कि प्रो. मनोज श्रीवास्तव एमयूजे में इससे पहले तीन एवं अन्य संस्थानों में 5 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं। इसके साथ ही यह इनका 9वां वर्ल्ड रिकॉर्ड है।
स्कूल ऑफ होटल मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज श्रीवास्तव ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के बारे में बताया कि यह एक मुगली पाकिस्तानी-अवधि स्वीट डिश है। इसे बनाने के लिए कुक एंड रोस्ट प्रणाली का उपयोग किया गया है। इसे बनाने में 8 घंटे का समय लगा। इस डिश को बनाने के लिए एक साल तक रिसर्च कार्य किया गया।
इसे बनाने के लिए 150 किलो ब्रेड, 160 किलो दूध, मावा 18 किलो, चीनी 60 किलो, देशी घी 20 किलो, ड्राई फ्रूट 20 किलो, चिरोंजी 6 किलो एवं 20 ग्राम केसर का उपयोग किया गया है। इसे बनाने के लिए स्वनिर्मित इनवनटेड फ्लेम गन तकनीक का उपयोग किया गया है।
इसे बनाने के लिए एक फेब्रीकेटेड ट्रे, इन्डस्ट्रीयल बर्नर, पलटे एवं फ्लेम गन का उपयोग कुशलता के साथ किया गया है। स्कूल ऑफ होटल मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज श्रीवास्तव के सान्निध्य में डॉ. गौरव भट्टाचार्य, डॉ. सोनल, अमित दत्ता, अरविंद रॉय, श्वेता उपमन्यू, मुकेश, दीपक पोखरियाल एवं 120 विद्यार्थियों ने इसमें महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है।
प्रो. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि अधिक खर्च के कारण इस डिश को राजा एवं धनी लोग ही मुगलकाल में बनवाया करते थे। इसे बनाने की विधि भी बहुत ही यूनिक है। यह कठोर एवं मुलायम उत्पाद है।
इसे बनाने के लिए बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है। सबसे पहले डबल रोटी को अच्छी तरह सेका जाता है। इसके बाद डबल रोटी की दो लेयर डिश बनाने वाली ट्रे पर बिछाई जाती है। इन लेयर्स पर दूध, मावा, देशी घी, ड्राइफ्रूट आदि को सिकाई करने के बाद डाला जाता है। इसके डालने के बाद करीब दो घंटे तक इंतजार किया जाता है जब तक कि डबल रोटी सभी डाली गई सामग्री को सोख न ले। सोखने के बाद फिर से सिकाई आरंभ करते हैं।
करीब आधे घंटे तक सिकाई के बाद वापस से दूध, मावा, देशी घी, ड्राइफ्रूट आदि की लेयर बिछाई जाती है एवं फिर से सिकाई की जाती है। यह प्रोसेस 3 से चार बार अपनाया जाता है, जिससे कि डबल रोटी में सभी सामान ठीक से समा जाएं एवं शाही टुकड़े का शाही टेस्ट बन जाए।
इस शाही टुकड़े को बनाने के बाद इसे काटकर इसका उद्घाटन विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट प्रो. संदीप संचेती, प्रो. प्रेसीडेंट, प्रो. एनएन शर्मा, रजिस्ट्रार प्रो. वंदना सुहाग ने किया। इस अवसर पर डीन, फेकल्टी ऑफ आर्ट एंड लॉ प्रो. मृदुल श्रीवास्तव, डीन फेकल्टी ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन प्रो. बीके शर्मा, डीन फेकल्टी ऑफ मैनेजमेंट प्रो. निलांजन चट्टोपाध्याय, स्कूल ऑफ होटल मैनेजमेंट के निदेशक प्रो. अमित जैन, प्रो. एनडी माथुर, डीन, फेकल्टी ऑफ साइंस प्रो. जीसी टिक्कीवाल सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न स्कूल्स के निदेशक, विभागाध्यक्ष, फेकल्टी सदस्य कर्मचारी एवं विद्यार्थी मौजूद थे। साथ ही हजारों विद्यार्थियों ने इसे भ्रमण कर इसका स्वाद चखा एवं खूब सराहना की।