Powerful women of Ramayana period: नयी खोज के अनुसार यह माना जाता है कि 7000 से 7500 ईस्वी पूर्व रामायण काल था। इस काल में राम और रावण का युद्ध हुआ था। रामायण काल में कई महिलाओं का जिक्र मिलता है जिनकी उस काल में सामाजिक और राजनीतिक भूमिका रही है। उन्हीं में से जानिए 5 महिलाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. कैकेयी : अयोध्या के राजा दशरथ की अति प्रिय रानी कैकेयी के कारण ही रामायण की रचना हुई। कैकेयी के द्वारा दो वरदान मांगना ही सबसे बड़ी घटना थी। कुटिल मंथरा की सलाह के अनुसार वे दो वरदान महाराजा दशरथ से मांग ही लिए जो अंततः रामायण की कथा के आधार बने। रामायण के नारी पात्र कैकेयी का स्मरण आम आदमी घृणा और तिरस्कार के साथ करता है। आज भी कोई अपनी पुत्री का नाम कैकेयी नहीं रखता और न ही रामायण के पारायण के दौरान कैकेयी के चरित्र पर किसी का ध्यान जाता है। राम से इतना अधिक स्नेह करने वाली कैकेयी इतनी अधिक कठोर हो गई कि उन्हें वनवास दे डाला। श्रवण कुमार के पिता रतन ऋषि नंदीग्राम के राजा अश्वपति के राजपुरोहित थे और कैकेयी राजा अश्वपति की बेटी थी। रत्न ऋषि ने कैकेयी को सभी शास्त्र वेद पुराण की शिक्षा दी। राजा दशरथ की तीन रानियों में सबसे छोटी रानी कैकई ने देवासुर संग्राम में दशरथ के साथ मिलकर युद्ध लड़ा था। रामायण काल की वह एक शक्तिशाली महिला थीं।
2. माता सीता : राजा जनक की पुत्री माता सीता का नाम जानकी है। उन्हें माता लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति माता सीता की बहनें थी। उन्हें पृथ्वी की पुत्री भी माना जाता है इसलिए उनके भाई का नाम मंगलदेव है। माता सीता ने अपने पतिव्रत धर्म का पालन करते हुए श्री राम के साथ वनवास का चयन किया। माता सीता सिर्फ गृहिणी ही नहीं थीं अर्थात घर में रहकर रोटी बनाना या घर के ही कामकाज देखना। वे प्रभु श्रीराम के हर कार्य में हाथ बंटाती थीं। इस तरह वे एक कामकाजी महिला भी थीं। माता सीता का जब रावण ने अपहरण कर लिया और उन्हें अशोक वाटिका में रखा तब इस कठिन परिस्थिति में उन्होंने शील, सहनशीलता, साहस और धर्म का पालन किया। इस दौरान रावण ने उन्हें साम, दाम, दंड और भेद तरह की नीति से अपनी ओर झुकाने का प्रयास किया लेकिन माता सीता नहीं झुकीं, क्योंकि उनको रावण की ताकत और वैभव के आगे अपने पति श्रीराम और उनकी शक्ति के प्रति पूरा विश्वास था। लंकापति रावण ने अपहरण करके 2 वर्ष तक माता सीता को अपनी कैद में रखा था। इस कैद में माता सीता एक वाटिका की गुफा में राक्षसनियों के पहरे में रहती थीं। पद्म पुराण की कथा में सीता धरती में नहीं समाई थीं बल्कि उन्होंने श्रीराम के साथ रहकर सिंहासन का सुख भोगा था और उन्होंने भी राम के साथ में जल समाधि ले ली थी।
3. मंदोदरी : मायासुर की पुत्री मंदोदरी रावण की पत्नी थीं। वह रावण की राजनीतिक सलाहकार भी थी। हालांकि सीता हरण के समय उसने रावण को सलाह दी थी कि तुम्हें ये कार्य नहीं करना चाहिए। रावण ने उस वक्त उसकी सलाह नहीं मानी। रावण की पत्नी मंदोदरी की मां हेमा एक अप्सरा थी और उसके पिता एक असुर। अप्सरा की पुत्री होने की वजह से मंदोदरी बेहद खूबसूरत थी, साथ ही वह आधी दानव भी थी। पंच कन्याओं में से एक मंदोदरी को चिर कुमारी के नाम से भी जाना जाता है। अपने पति रावण के मनोरंजनार्थ मंदोदरी ने ही शतरंज के खेल का प्रारंभ किया था। मंदोदरी से रावण को पुत्र मिले- अक्षय कुमार, मेघनाद और अतिकाय। महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष और भीकम वीर को भी उनका पुत्र माना जाता है। रावण की कई रानियां थी, लेकिन लंका की रानी सिर्फ मंदोदरी को ही माना जाता था।
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4. माता अंजनी : हनुमानजी की माता अंजनी को सभी जानते हैं। माता अंजनी पूर्व जन्म में देवराज इंद्र के दरबार में अप्सरा पुंजिकस्थला थीं। ऋषि ने पुंजिकस्थला को श्राप दे दिया कि जा तू वानर की तरह स्वभाव वाली वानरी बन जा, ऋषि के श्राप को सुनकर पुंजिकस्थला ऋषि से क्षमा याचना मांगने लगी, तब ऋषि ने दया दिखाई और कहा कि तुम्हारा वह रूप भी परम तेजस्वी होगा। तुमसे एक ऐसे पुत्र का जन्म होगा जिसकी कीर्ति और यश से तुम्हारा नाम युगों-युगों तक अमर हो जाएगा, इस तरह अंजनि को वीर पुत्र का आशीर्वाद मिला।
5. अहिल्या: महारी नृत्य परंपरा के मुताबिक, ब्रह्मा ने उर्वशी का अभिमान तोड़ने के लिए अहिल्या को सबसे सुंदर स्त्री बनाया था। देवी अहिल्या की कथा का वर्णन वाल्मीकि रामायण के बालकांड में मिलता है। अहिल्या अत्यंत ही सुंदर, सुशील और पतिव्रता नारी थीं। उनका विवाह ऋषि गौतम से हुआ था। दोनों ही वन में रहकर तपस्या और ध्यान करते थे। शास्त्रों के अनुसार शचिपति इन्द्र ने गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ उस वक्त छल से सहवास किया था, जब गौतम ऋषि प्रात: काल स्नान करने के लिए आश्रम से बाहर गए थे। लेकिन जब गौतम मुनि को अनुभव हुआ कि अभी रात्रि शेष है और सुबह होने में समय है, तब वे वापस आश्रम की तरफ लौट चले। मुनि जब आश्रम के पास पहुंचे तब इन्द्र उनके आश्रम से बाहर निकल रहा थे। इन्होंने इन्द्र को पहचान लिया। इन्द्र द्वारा किए गए इस कुकृत्य को जानकर मुनि क्रोधित हो उठे और इन्द्र तथा देवी अहिल्या को शाप दे दिया। देवी अहिल्या द्वारा बार-बार क्षमा-याचना करने और यह कहने पर कि 'इसमें मेरा कोई दोष नहीं है', पर गौतम मुनि ने कहा कि तुम शिला बनकर यहां निवास करोगी। त्रेतायुग में जब भगवान विष्णु राम के रूप में अवतार लेंगे, तब उनके चरण रज से तुम्हारा उद्धार होगा। अहिल्या ने ही माता सीता को पतिव्रत धर्म और जीवन की शिक्षा दी थी। इसी के साथ उन्होंने सीता माता को एक ऐसी दिव्य साड़ी दी थी जो कभी गंदी नहीं होती थी और न ही फटती थी।
6. अन्य महिलाएं: इसके अलावा लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला, वासुकी नाग की बेटी और मेघनाथ की पत्नी सुलोचना और किष्किंधा के राजा बालि की पत्नी तारा में भी कई तरह की शक्तियां विद्यमान थीं।
- Anirudh Joshi