हनुमानजी के द्वारा लिखी रामायण को हनुमद रामायण कहते हैं जबकि हनुमन्नाटक रामायण अलग है। विद्वान लोग कहते हैं कि सर्वप्रथम रामकथा हनुमानजी ने लिखी थी और वह भी एक शिला (चट्टान) पर अपने नाखूनों से लिखी थी। यह रामकथा वाल्मीकिजी की रामायण से भी पहले लिखी गई थी और यह 'हनुमद रामायण' के नाम से प्रसिद्ध है। लेकिन इस बार जानिए कि हनुमन्नाटक रामायण क्या है।
कहते हैं कि हनुमन्नाटक रामायण को संवत 1660 में संस्कृत भाषा के विद्वान कवि हृदयरामजी ने लिखी थी जो श्रीराम के जीवन चरित पर आधारित है। हृदयरामजी एक पंजाबी थे। माना जाता है कि संपूर्ण ग्रंथ लगभग 1 हजार 500 छंदों में लिपिबद्ध है।
हृदयरामजी कृष्णदास के पुत्र थे। यह रामायण नाटक के रूप में लिखी गई है इसीलिए इसका नाम हनुमन्नाटक है।
हनुमन्नाटक रामायण के अंतिम खंड में हनुमद रामायण के बारे में लिखा है-
'रचितमनिलपुत्रेणाथ वाल्मीकिनाब्धौ
निहितममृतबुद्धया प्राड् महानाटकं यत्।।
सुमतिनृपतिभेजेनोद्धृतं तत्क्रमेण
ग्रथितमवतु विश्वं मिश्रदामोदरेण।।'
हनुमन्नाटक अंक 14-96
अर्थात : इसको पवनकुमार ने रचा और शिलाओं पर लिखा था, परंतु वाल्मीकि ने जब अपनी रामायण रची तो तब यह समझकर कि इस रामायण को कौन पढ़ेगा, श्री हनुमानजी से प्रार्थना करके उनकी आज्ञा से इस महानाटक को समुद्र में स्थापित करा दिया, परंतु विद्वानों से किंवदंती को सुनकर राजा भोज ने इसे समुद्र से निकलवाया और जो कुछ भी मिला उसको उनकी सभा के विद्वान दामोदर मिश्र ने संगतिपूर्वक संग्रहीत किया।