ईमानदारी और अल्लाह की फ़रमाबर्दारी की सीख देता है छठवां रोजा

Webdunia
प्रस्तुति : अज़हर हाशमी
 
पवित्र कुरआन के पच्चीसवें पारे (अध्याय-25) की सूरह शूरा की तिरालीसवीं आयत में ज़िक्र है : 'व लमन सबरा व़गफरा इन्ना ज़ालिका लमिन अज़मिल उमूर'- 'जो सब्र करने वाले हैं और रहम करने वाले हैं वो बुलंद मर्तबे और अज़मत (गरिमा) वाले हैं।'
 
यहां यह बात काबिलेगौर है कि 'सब्र' (सबरा) और 'रहम' (गफ़रा) मर्तबे और अज़मत (गौरव-गरिमा) बढ़ाने वाले हैं और पैरोकार भी। रहम रास्ता है अजमत का। सब्र, सीढ़ी है बुलंदी की। तो इसका सीधा-सा जवाब है कि मुकम्मल ईमानदारी और अल्लाह की फ़रमाबर्दारी के साथ रखा गया रोजा और रोजदार इसकी पहचान है। नेकनीयत और पाकीज़गी के साथ रखे गए रोजे का नूर अलग ही चमकता है। जज्बा-ए-रहम (दया का भाव) रोजेदार की पाकीजा दौलत है और जज्बा-ए-सब्र रोजेदार की रूहानी ताकत है।
 
कुरआने-पाक में अल्लाह को सब्र करने वाले का साथ देने वाला बताया गया है (इन्नाल्लाहा म़अस्साबेरीन' यानी 'अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।') रोजा इम्तहान भी है और इंतजाम भी। सब्र और संयम रोजेदार की कसौटी है इसलिए रोजा इम्तहान है।
 
सब्र की कसौटी पर रोजेदार कामयाब यानी खरा साबित हुआ तो इसका मतलब यह कि उसने आख़िरत (परलोक) का इंतज़ाम कर लिया। इसलिए रोजा इंतज़ाम है। कुल मिलाकर यह कि रोजा ऱहम का हरकारा और सब्र का फौवारा है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Nanak Jayanti 2024: कब है गुरु नानक जयंती? जानें कैसे मनाएं प्रकाश पर्व

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

शमी के वृक्ष की पूजा करने के हैं 7 चमत्कारी फायदे, जानकर चौंक जाएंगे

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास पूर्णिमा का पुराणों में क्या है महत्व, स्नान से मिलते हैं 5 फायदे

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

सभी देखें

धर्म संसार

Dev Diwali 2024: वाराणसी में कब मनाई जाएगी देव दिवाली?

Pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व और पूजा विधि और उपाय

Surya in vrishchi 2024: सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर, 4 राशियों के लिए बहुत ही शुभ

Aaj Ka Rashifal: 13 नवंबर के दिन किन राशियों को मिलेगी खुशखबरी, किसे होगा धनलाभ, पढ़ें 12 राशियां

Vaikuntha chaturdashi date 2024: वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व, क्यों गए थे श्री विष्णु जी वाराणसी?

अगला लेख
More