इक्क्षवाकु कुल में जैन और हिंदुओं के कई महान पुरुषों ने जन्म लिया। उनमें से एक हैं प्रभु श्रीराम। प्रभु श्रीराम को जानना हो तो सिर्फ वाल्मीकि की 'रामायण' से जानो। प्रभु श्रीराम पर बहुत लिखा और कहा गया है।
राम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पुरुष थे इसीलिए उन्हें पुरुषोत्तम कहा गया है। प्रभु श्रीराम के जीवन को हम लीला इसलिए कहते हैं कि खुद प्रभु श्रीराम ने वैसा जीवन रचा था। तभी तो कहते हैं प्रभु श्रीराम की लीला। श्रीराम लीला।
आज दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो प्रभु श्रीराम को नहीं जानता हो। फिल्म, कार्टून और तमाम अन्य साधनों के अलावा प्रभु श्रीराम पर हो रहे विवाद ने वर्तमान में प्रभु श्रीराम को पुन: जन-जन तक पहुंचा दिया है।
अब सवाल यह उठता है कि महाबली रावण एक वनवासी राम से कैसे हार गया?
शक्तिशाली रावण :
- रावण हर मामले में प्रभु श्रीराम से ज्यादा शक्तिशाली था। उसके पास उस काल की सबसे बड़ी सेना थी जिसके पास कई तरह के घातक हथियार थे। जबकि राम के पास वनवासी और वानरों की ऐसी सेना थी जिनके पास धनुष बाण के अलावा कुछ नहीं था।
- रावण का शारीरिक बल भी कहीं अधिक था। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उसने कैलाश पर्वत को हिला दिया था।
- उसके पास श्रीराम से अधिक नाते-रिश्तेदार और भाई-बहन थे, फिर भी वह हार गया।
- रावण चारों वेदों का ज्ञाता, ज्योतिष शास्त्र और आयुर्वेद के कई सूत्रों का रचयिता, रावण संहिता और शिव तांडव शास्त्र लिखने वाला, यज्ञ और कर्मकाण्ड में कुशल था। वह महाज्ञानी और महापंडित था फिर भी श्रीराम से हार गया।
- रावण के पास ज्ञान की शक्ति, धन की शक्ति और अस्त्र शस्त्र की सभी तरह की शक्ति थी फिर भी वह हार गया।
कारण : रावण के पास सबकुछ था लेकिन उसके पास राम जैसे चरित्र का बल नहीं था। व्यक्ति का आचरण या चाल-चलन चरित्र कहलाता है। चरित्र का बल जिसके पास होता है उसके पास सभी कुछ होता है। इसीलिए श्रीराम को कहते हैं पुरुषों उत्तम पुरुषोत्तम।