Ram navami ki puja kaise kare : किसी भी देव या भगवान की पूजा करने के शास्त्रों में कई प्रकार बताए गए हैं। जैसे पंचोपचार, दशोपचार व षोडषोपचार पूजा विधि। जातक की जैसी क्षमता या समय होता है वह वैसी पूजा करता है। पंचोपचार में 5, दशोपचार में 10 और षोडषोपचार में 16 पूजा सामग्री होती है।
पंचोपचार : 1. गन्ध 2. पुष्प 3. धूप 4. दीप और 5. नैवेद्य अर्पित करके फिर आरती करते हैं और अंत में नैवेद्य को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं।
दशोपचार : 1. पाद्य 2. अर्घ्य 3. आचमन 4. स्नान 5. वस्त्र 6. गंध 7. पुष्प 8. धूप 9. दीप और 10. नैवेद्य अर्पित करके फिर आरती करते हैं और अंत में नैवेद्य को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं।
षोडशोपचार : 1. पाद्य 2. अर्घ्य 3. आचमन 4. स्नान 5. वस्त्र 6. आभूषण 7. गन्ध 8. पुष्प 9. धूप 10. दीप 11. नैवेद्य 12. आचमन 13. ताम्बूल 14. स्तवन पाठ 15. तर्पण 16. नमस्कार करके फिर आरती करते हैं और अंत में नैवेद्य को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं।
Ram Navami Puja ke Muhurt
रामनवमी पूजा विधि :
1. सबसे पहले इस दिन भगवा ध्वज, पताका, तोरण और बंदनवार से घर सजाना चाहिए।
2. फिर प्रात:काल नित्यकर्म से निवृत्त होकर रामलला का झूला सजाना चाहिए और उसमें उनकी मूर्ति को शुद्ध पवित्र ताजे जल से स्नान कराकर नए वस्त्र व आभूषण धारण कराकर विराजमान करना चाहिए।
3. मूर्ति अथवा चित्र पर धूप-दीप, आरती, पुष्प, पीला चंदन अर्पित करते हुए भगवान की पूजा करें। आप षोडशोपचार पूजा भी कर सकते हैं। जैसे मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
4. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
5. पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला अथवा लड़की को घर में सभी जनों के माथे पर तिलक लगाना चाहिए। यदि पंडित से पूजा करा रहे हैं तो यह कार्य वहीं करेगा और सभी के हाथों में मौली भी बांधेगा।
6. श्रीराम नवमी पूजन के बाद हवन का विशेष महत्व है। अलग-अलग सामग्रियों से हवन करने पर उसका विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
1. पूजा के बाद श्रीराम को गाय के दूध, दही, देशी घी, शहद, चीनी से बना पंचामृत अर्पित करें। इसके साथ ही श्रीराम के प्रिय पकवान उन्हें अर्पित करें। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
2. श्रीराम के सबसे प्रिय पदार्थ खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करके पहले से ही रख लें। प्रसाद के रूप में खासकर पीसे धनिये को घी में सेंककर उसमें गुड़ या पीसी हुई शक्कर मिलाकर प्रसाद बांटी जाती है, जिसे पंजीरी कहते हैं।
राम भोग :
1. भगवान श्रीरामजी को केसर भात, खीर, कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग प्रिय है।
2. इसके अलावा हलुआ, पूरनपोळी, लड्डू और सिवइयां भी उनको पसंद हैं।
3. पंचामृत और धनिया पंजीरी दो तरह के प्रसाद उन्हें अर्पित किए जाते हैं।
4. उन्हें धनिए का प्रसाद चढ़ाते हैं। इसे धनिया पंजीरी कहते हैं। इसे सौंठ पंजीरी भी कहते हैं। यह कई तरह से बनाई जाती है।
आरती और भजन :
1. जिस भी देवी या देवता के तीज त्योहार पर या नित्य उनकी पूजा की जा रही है तो अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
2. श्रीरामचरितमानस के बाल्यकांड का श्रद्धा से पाठ करना अथवा श्रवण करना चाहिए। श्रीराम का भजन, पूजन, कीर्तन करें।
नोट : घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।