'रा' कहत मुख निकसे, निकसत पाप पहाड़। 'म' ऐसा धूर्त है, जो चट बंद करत किवाड़।
यह संसार स्वार्थ से भरा हुआ है। मनुष्य हमेशा अपने स्वार्थ में लगा रहता है। 'यह मेरा, यह तेरा है'। हर सुख-वैभव के लिए मनुष्य अपना जीवन खत्म कर देता है, परंतु मोक्ष के लिए प्रभु श्रीराम का स्मरण नहीं करता। और जो करता है, वह भवसागर से तर जाता है।
'तोड़ो तेरा-मेरा बंधन, कोई नहीं है तेरा/ बीच भंवर में नैया तेरी, राम है एक किनारा।'
इस स्वार्थरूपी भंवर से राम नाम की नैया ही किनारे लगा सकती है।
भगवान श्रीराम से रामनवमी पर आशीर्वाद मांगें कि हे परमात्मा, मेरे शरीर, मन और बुद्धि की रक्षा करना। साथ ही इस मंत्र का पाठ करें-
'दिव्यां देहि मे शक्तिं दिव्यां देहि शांति मे। दिव्यं देह आयुष्यम यशो बुद्धिम समुज्ज्वलाम।'
इसके साथ ही भगवान शिव, हनुमान एवं गुरुजनों से आशीर्वाद प्राप्त कर अपनी दिनचर्या प्रारंभ करें। इससे आपके मन के सारे मनोरथ पूर्ण होंगे। 'राम' शब्द के उच्चारण मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। राम से विनती कर आराधना कीजिए।
'चरन कमल बंदउं तिन्ह केरे/ पुरवहुं सकल मनोरथ मेरे।'
और अधिक मांगना हो तो अपने जन्म लग्न अनुसार मंत्र का जप करें।
मेष लग्न : 'ॐ शाश्वत नम:।'
वृषभ लग्न : 'ॐ राजेन्द्र नम:।'
मिथुन लग्न : 'ॐ सत्यवाक नम:।'
कर्क लग्न : 'ॐ जैत्र नम:।'
सिंह लग्न : 'ॐ सत्यव्रत नम:।'
कन्या लग्न : 'ॐ रामभद्र नम:।'
तुला लग्न : 'ॐ त्रयी नम:।'
वृश्चिक लग्न : 'ॐ वेदांतपार नम:।'
धनु लग्न : 'ॐ दांत नम:।'
मकर लग्न : 'ॐ सप्ततालप्रभेता नम:।'
कुंभ लग्न : 'ॐ राघवेन्द्र नम:।'
मीन लग्न : 'ॐ धन्वी नम:।'