Ram Navami 2021 : प्रभु श्रीराम के जन्म संबंधी 4 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी
प्रभु श्रीराम का जन्म कब हुआ इसको लेकर पुराणों के विद्वान, ज्योतिष और इतिहासकारों में मतभेद है। परंतु परंपरा से ही राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को बनाया जाता है। यह समय नवरात्रि की नवमी का भी होता है। आओ जानते हैं कि प्रभु श्रीराम का जन्म कब हुआ था।
 
 
1. वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था। इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। (बाल कांड 18/श्लोक 8, 9)।...जन्म सर्ग 18वें श्लोक 18-8-10 में महर्षि वाल्मीक जी ने उल्लेख किया है कि श्री राम जी का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अभिजीत महूर्त में हुआ। 
 
मानस के बाल काण्ड के 190 वें दोहे के बाद पहली चौपाई में तुलसीदास ने भी इसी तिथि और ग्रहनक्षत्रों का जिक्र किया है। 
 
2. शोधकर्ता डॉ. वर्तक पीवी वर्तक के अनुसार ऐसी स्थिति 7323 ईसा पूर्व 4 दिसंबर में ही निर्मित हुई थी, लेकिन प्रोफेसर तोबयस के अनुसार जन्म के ग्रहों के विन्यास के आधार पर 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व हुआ था। उनके अनुसार ऐसी आका‍शीय स्थिति तब भी बनी थी। तब 12 बजकर 25 मिनट पर आकाश में ऐसा ही दृष्य था जो कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है। ज्यातादर शोधकर्ता प्रोफेसर तोबयस के शोध से सहमत हैं। इसका मतलब यह कि राम का जन्म 10 जनवरी को 12 बजकर 25 मिनट पर 5114 ईसा पूर्व हुआ था? -संदर्भ : (वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता: सरोज बाला, अशोक भटनाकर, कुलभूषण मिश्र)
 
यूनीक एग्जीबिशन ऑन कल्चरल कॉन्टिन्यूटी फ्रॉम ऋग्वेद टू रोबॉटिक्स नाम की इस एग्जीबिशन में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार भगवान राम का जन्म 10 जनवरी, 5114 ईसापूर्व सुबह बारह बजकर पांच मिनट पर हुआ (12:05 ए.एम.) पर हुआ था। कुछ जानकार 21 फरवरी का जिक्र करते हैं।
 
3. राम की वंशावली के आधार पर : वंशवली के जानकर लाखों वर्ष के युग की धारणा को कल्पित मानते हैं। क्योंकि पहली बात तो यह कि युग का मान स्पष्ट नहीं है। दूसरी बात यह कि यदि आप भगवान श्रीराम की वंशावली के मान से गणना करते हैं तो यह लाखों नहीं हजारों वर्ष की बैठती है। जैसे श्रीराम के बाद उनके पुत्र लव और कुश हुए फिर उनकी पीढ़ियों में आगे चलकर महाभारत काल में 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए। इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए।
 
वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपूर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे। अब यदि तीन पीढ़ियों का काल लगभग 100 वर्ष में पूर्ण होता है तो इस मान से श्रीराम को हुए कितने हजार वर्ष हुए हैं आप इस 309 पीढ़ी के मान से अनुमान लगा सकते हैं।
 
4. पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था। इसका मतलब 3102+2021= 5123 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं। उपरोक्त मान से अनुमानित रूप से भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000 + कलियुग के 5123 वर्ष = 869123 वर्ष अर्थात 8 लाख 69 हजार 123 वर्ष हो गए हैं प्रभु श्रीराम को हुए। परंतु यह धारणा इतिहासकारों के अनुसार सही नहीं है, जो वाल्मीकि रामायण में लिखा है वही सही माना जा सकता है।

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