नई दिल्ली। राजस्थान की भाजपा सरकार के लिए इस बार विधानसभा चुनाव में राह आसान नहीं है। राज्य के ज्यादातर लोग वसुंधरा सरकार को दोहराने के मूड में दिखाई नहीं दे रहे हैं। हालांकि मोदी के कामकाज को लेकर उनमें कोई नाराजी नहीं है।
राज्य में यदि ऐसा होता है तो यह पहला मौका नहीं होगा क्योंकि यहां लोगों की तासीर ही ऐसी है कि वे किसी भी दल की सरकार को दोबारा मौका नहीं देते हैं। आजतक तक एक सर्वे में राजस्थान के लोगों की जो राय सामने आई है, वह निश्चित ही भाजपा और वसुंधरा दोनों के लिए ही खतरे की घंटी है।
इस सर्वे के मुताबिक राज्य के 48 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि इस बार सत्ता परिवर्तन होना चाहिए। 32 प्रतिशत लोगों का मानना है कि वसुंधरा सरकार का कामकाज अच्छा है, जबकि 12 फीसदी लोग सरकार के कामकाज को ठीकठाक मानते हैं। जहां तक मुख्यमंत्री पद की बात है तो यहां कांटे की टक्कर है। 35 प्रतिशत लोग जहां एक बार फिर वसुंधरा को मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं, वहीं इतने ही लोग पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस पद पर देखना चाहते हैं।
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद की दौड़ में काफी पीछे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए 11 फीसदी लोगों का ही समर्थन प्राप्त है। युवा होने के बावजूद पायलट अब भी गहलोत के मुकाबले काफी पीछे चल रहे हैं। भाजपा नेता ओम माथुर और केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धनसिंह राठौर को लेकर भी लोगों ने खास रुचि नहीं दिखाई।
मोदी पर क्या है राजस्थान का मूड : 'मोदी से वैर नहीं, वसुंधरा की खैर नहीं' वाली बात इस सर्वे में भी दिखाई दे रही है। राजस्थान के 57 फीसदी लोग एक बार फिर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं, वहीं 35 प्रतिशत लोग कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस शीर्ष पद पर देखना चाहते हैं।
राज्य के 46 प्रतिशत लोग मानते हैं कि केन्द्र की मोदी सरकार का कामकाज अच्छा है, जबकि 36 फीसदी लोग इसके ठीक विपरीत मानते हैं। अर्थात ये तबका मानता है कि केन्द्र की सत्ता में बदलाव होना चाहिए, जबकि 12 प्रतिशत मतदाता मानते हैं कि सरकार का कामकाज ठीक है।