Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

दोस्‍ती से लेकर अदावत तक... क्‍या अब वसुंधरा का विकल्‍प बनेंगी राजकुमारी दीया?

हमें फॉलो करें diya kumari
webdunia

नवीन रांगियाल

राजनीति में दोस्‍ती और अदावत एक पुराना खेल है। इसलिए कहा जाता है कि पॉलिटिक्‍स में कोई परमानेंट दोस्‍त या दुश्‍मन नहीं होता। राजस्‍थान में विधानसभा चुनावों के पहले एक महारानी और एक राजकुमारी के बीच भी दोस्‍ती और अदावत की यह परंपरा कायम है। किसी जमाने में राजस्‍थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने ही राजकुमारी दीया की राजनीति में एंट्री करवाई थी। आज उन्हीं दीया कुमारी को वसुंधरा के विकल्‍प के तौर पर देखा जा रहा है। दो महारानियों के बीच चेहरों की ये अदला-बदली राजस्‍थान की राजनीति में कितना हेरफेर करेगी, भाजपा को कितना फायदा या नुकसान कराएगी, यह तो विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चल सकेगा। हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ‘महारानी’ की उपेक्षा भाजपा भारी भी पड़ सकती है।
दीया की राजनीति में एंट्री : साल 2013 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, ठीक इसी वक्‍त वसुंधरा राजे राजस्‍थान की सीएम थीं। मुख्‍यमंत्री वसुंधरा की नजर राज घराने से ताल्‍लुक रखने वाली राजकुमारी दीया पर थीं। उन्‍होंने दीया कुमारी से बात की और उस समय के भाजपा अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह की मौजूदगी में दीया कुमारी को भाजपा की सदस्‍यता दिलवा दी। एक तरह से वसुंधरा राजे महलों की चारदीवारी में रहने वालीं दीया कुमारी की राजनीति में एंट्री की वजह बन गईं। जिस वसुंधरा को ‘महारानी’ के नाम से जाना जाता रहा है, उन्‍हीं के सामने आज ‘राजकुमारी’ दीया राजस्‍थान की ‘महारानी’ बनकर उभर रही हैं।

2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दीया कुमारी को सवाई माधोपुर से उम्मीदवार बनाया और वे जीत गईं। साल 2019 में पार्टी ने उन्हें राजसमंद सीट से लोकसभा का टिकट दिया और दीया कुमारी जीतकर संसद पहुंच गईं।

पार्टी क्‍यों महारानी और नरपत सिंह को कर रही नाराज?
आज राजस्‍थान में उन्‍हीं दीया कुमारी को वसुंधरा राजे के विकल्‍प के तौर पर देखा जा रहा है। इस आकलन के पीछे दो वजहें हैं— एक तो वसुंधरा को पार्टी की तरफ से इग्‍नोर किया जा रहा है और दूसरी वजह है दीया कुमारी को विधानसभा 2023 के लिए उस सीट से उम्‍मीदवार बनाना, जहां से भाजपा के बड़े नेता माने जाने वाले नरपत सिंह राजवी विधायक हैं।
webdunia

दीया के लिए राजवी का पत्‍ता कटा
दिलचस्‍प है कि मौजूदा विधायक नरपत सिंह राजवी का टिकट काटकर पार्टी ने दीया कुमारी को टिकट दिया है। यह इसलिए अहम माना जा रहा है, क्‍योंकि नरपत सिंह राजवी तीन बार के मुख्‍यमंत्री और उपराष्‍ट्रपति रह चुके भाजपा के बड़े नेता भैरों सिंह शेखावत के दामाद हैं। शेखावत वो नेता हैं, जिनके दम पर भाजपा ने पहली बार किसी राज्‍य में सरकार बनाई थी।

इतना ही नहीं, कभी नरपत सिंह राजवी को ‘महारानी’ वसुंधरा का बेहद करीबी माना जाता रहा है। वे वसुंधरा मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे हैं। टिकट कटने पर उनके समर्थकों में इस बात को लेकर नाराजगी भी है। जबकि दूसरी तरफ दीया कुमारी के समर्थक उन्‍हें राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री के तौर पर देख रहे हैं। ऐसे में इस पूरे गणित को देखें तो भाजपा एक तरफ वसुंधरा और दूसरी तरफ दिग्‍गज नरपत सिंह को नाराज कर रही है।

मां से मिलने पहुंचे थे अमित शाह
दिसंबर 2018 की बात है, भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह राजस्‍थान दौरे पर थे। इसी दौरान वे दीया कुमारी और उनकी मां पद्मिनी देवी से जयपुर पैलेस पर मिलने पहुंचे थे, इसके बाद से ही दीया कुमारी की राजनीतिक संभावनाएं टटोली जा रही हैं। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी की एक सभा में मंच पर राजकुमारी दीया को खासी तवज्जो दी गई, जबकि फ्लेशबैक में वसुंधरा राजे कुछ बुझी-बुझी सी बैठी नजर आईं। जाहिर है पार्टी दीया कुमारी को वसुंधरा के विकल्‍प के तौर पर प्रोजेक्‍ट करने की कोशिश कर रही है। हालांकि सीएम कौन होगा, इसके बारे में कहना अभी जल्‍दबाजी होगी।

दोस्‍ती भी, अदावत भी
वो वसुंधरा ही थीं, जो दीया कुमारी को राजनीति में लेकर आई। उन्‍होंने ही 2013 के विधानसभा डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को हराने के लिए सवाई माधोपुर विधानसभा से राजकुमारी दीया को लड़ाने का फैसला किया। दीया कुमारी ने भी राजस्‍थान के झोपड़ियों में रहने वाले दलित और गरीब लोगों से आत्‍मीयता बढ़ाई, उनके घरों में पहुंचकर चूल्‍हा फूंका और इसका फायदा यह हुआ कि वे जीत गईं। लेकिन यह राजनीतिक केमिस्‍ट्री भी जल्‍द ही अदावत में बदल गई। राजघराना बनाम राज्य सरकार के बीच का एक संपत्ति विवाद के बाद दोनों महारानियां आमने-सामने आ गईं। इस अदावत में 2018 में वसुंधरा ने दीया कु्मारी का टिकट काट दिया। लेकिन महारानी वसुंधरा के लिए यह दाव उल्‍टा पड़ गया। पार्टी हाईकमान ने दीया कुमारी को सांसद का टिकट दे दिया। और तभी से वे राजसमंद से सांसद हैं।
webdunia

वसुंधरा बनाम दीया कुमारी
राजस्‍थान की राजनीति में वसुंधरा राजे एक दबंग छवि वाली नेता हैं। उन्‍होंने कई मौकों पर अपने बगावती तेवर दिखाए हैं। कई बार पार्टी की बैठकों में नहीं जाना, पार्टी से अलग अपनी यात्रा निकालना और दबाव की राजनीति करना वसुंधरा की रणनीति में शामिल रहा है। जबकि दूसरी तरफ दीया कुमारी हाईकमान के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए जानी जाती हैं। इसके साथ ही दीया कुमारी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर जमकर बोलती हैं।

दीया कुमारी कई बार ये दावा भी कर चुकी हैं कि उनका वंश श्रीराम के बेटे कुश के 399 वां पीढ़ी है। एक बार तो वे ताजमहल पर भी अपने खानदान का दावा ठोंक चुकी हैं। उनका दावा था कि उनके पास ऐसे डॉक्युमेंट हैं जो साबित करते हैं कि ताजमहल उनके वशंजों का है। दीया कुमारी का परिवार कांग्रेसी रहा है, लेकिन वे पार्टी की हिंदुत्‍व वाली लाइन के काफी करीब नजर आती हैं। जबकि वसुंधरा राजे कभी मोदी-शाह के करीब नहीं आ सकीं। ऐसे में पार्टी वसुंधरा की बगावती और दबाव वाली राजनीति से मुक्‍त भी होना चाहती होगी।

हालांकि भले ही वसुंधरा को आज दरकिनार किया जा रहा हो, लेकिन हकीकत यह भी है कि वसुंधरा राजस्‍थान की राजनीति की रग रग से वाकिफ हैं, उन्‍हें साइडलाइन करने का खामियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।

क्या भाजपा को नुकसान होगा
सवाल उठता है कि वसुंधरा को दरकिनार और दीया को प्रमोट कर क्‍या भाजपा कोई रिस्‍क ले रही है, इससे भाजपा को कोई नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि अगर भाजपा दीया कुमारी को सीएम कैंडिडेट बनाती है तो यह एक महारानी की जगह दूसरी महारानी को रखने की तरह ही होगा। दोनों राजघराने से हैं। दीया कुमारी के लाइम लाइट में आने से राजपूत वोटर भाजपा के और करीब आ सकते हैं। बता दें कि राजस्थान में करीब 14 फीसदी राजपूत हैं, जिनका 60 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है।

जयपुर, सीकर, चूरू, झुंझनू, जालोर, जैसलमेर, बाड़मेर, कोटा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, अजमेर, नागौर, जोधपुर, राजसमंद, पाली, बीकानेर और भीलवाड़ा जिलों में राजपूत हैं। ऐसे में अगर वसुंधरा नाराज होती भी हैं तो इस नुकसान की भरपाई दीया कुमारी से जा सकती है। बता दें कि राजस्थान के बीजेपी नेताओं में वह इकलौती महिला नेता हैं, जिन्हें हिमाचल प्रदेश के चुनाव प्रचार में भी उतारा गया था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हाईटेक MP चुनाव में तंत्र-मंत्र का तड़का, श्मशान में कमलनाथ की तस्वीर रख तांत्रिक ने की पूजा, शिवराज का तंज