नई दिल्ली। भारतीय रेल नेटवर्क को देश की अर्थव्यवस्था हृदय में जीवनदायी रक्त संचारित करने वाला बताते हुए रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि पिछले कुछ दशकों में रेलवे सुविधाओं में ज्यादा सुधार नहीं हुआ।
प्रभु ने लोकसभा में गुरुवार को रेल बजट पेश करते हुए कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का एक मूलभूत कारण यह है कि रेलवे में लंबे समय से लगातार कम निवेश हुआ है जिसके कारण भीड़भाड़ बढ़ी है और क्षमता का अतिदोहन हुआ है।
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप रेलवे की क्षमता बढ़ाने का कार्य प्रभावित होता है, संरक्षा प्रभावित होती है और प्रदान की जाने वाली सेवा का स्तर गिरता है जिसके कारण मनोबल में गिरावट आती है, कार्यकुशलता घटती है, माल और यात्री यातायात ईष्टतम से कम रहता है और वित्तीय संसाधन कम होते हैं।
रेलमंत्री ने कहा कि इसके चलते पुन: निवेश की तंगी का दुष्चक्र बनता है और इस दुष्चक्र की समाप्ति की जानी चाहिए। एक बार ऐसा हो जाने से अर्थव्यवस्था को अत्यधिक लाभ होगा, बेहतर सेवाएं प्राप्त होंगी, समाज के गरीब तबकों सहित सभी नागरिकों के लिए बेहतर संपर्क व्यवस्था उपलब्ध होगी, लागतें कम होंगी और उन्नत प्रतिस्पर्धा होगी।
उन्होंने कहा कि रेलवे में निवेश बढ़ने से शेष अर्थव्यवस्था में भी गुणात्मक प्रभाव पड़ेगा और गरीबों के लिए अधिक रोजगार सृजित होंगे, साथ ही पर्यावरण को बनाए रखने और भावी पीढ़ियों के हित के लिए भी भारतीय रेल में निवेश जरूरी है। (भाषा)