Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

एचडी देवेगौड़ा : किस्मत ने बनाया प्रधानमंत्री

हमें फॉलो करें एचडी देवेगौड़ा : किस्मत ने बनाया प्रधानमंत्री
एचडी देवेगौड़ा को राजनीतिक अनुभव और निचले तबके के लोगों तक उनकी अच्छी पहुंच ने राज्य की समस्याओं से निपटाने में मदद की। जब उन्होंने हुबली के ईदगाह मैदान का मुद्दा उठाया, तब उनकी राजनीतिक विलक्षणता की झलक सभी ने फिर से उनमें देखी थी। यह अल्पसंख्यक समुदाय का मैदान हमेशा से ही राजनीतिक विवाद का मुद्दा रहा था। देवेगौड़ा ने सफलतापूर्वक इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकाला था।
 
प्रारंभिक जीवन : 18 मई 1933 को कर्नाटक के हरदन हल्ली ग्राम हासन के ताकुमा में जन्मे देवेगौड़ा के परिवार में पत्नी चेनम्मा और 4 पुत्र एवं 2 पुत्रियां हैं। सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद इन्होंने मात्र 20 वर्ष की उम्र में ही सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेना आरंभ कर दिया था। इनके पिता का नाम डोड्डे गौड़ा व माता का नाम देवम्मा था।
 
राजनीतिक जीवन : 1953 में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और 1962 तक वे इसी के सदस्य बने रहे। 1962 में वे कर्नाटक विधानसभा के सदस्य बन गए। मार्च 1972 से मार्च 1976 तक और नवंबर 1976 से दिसंबर 1977 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने ख्याति अर्जित की। हासन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 1991 में वे सांसद के रूप में चुने गए। 1994 में राज्य में जनता दल की जीत के सूत्रधार ये ही थे। जनता दल के नेता चुने जाने के बाद वे 11 दिसंबर 1994 को कर्नाटक के 14वें मुख्यमंत्री बने।
 
1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने : इसे देवेगौड़ा की किस्मत ही कहा जाना चाहिए कि वे मुख्यमंत्री पद से सीधे प्रधानमंत्री पद पर पहुंच गए थे। बात यह थी कि 31 मई 1996 को अटलजी की सरकार के अल्पमत में होने के कारण उन्होंने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। उसी के अगले दिन 1 जून 1996 को तत्काल में 24 दलों वाले संयुक्त मोर्चे का गठन कांग्रेस के समर्थन से किया गया और देवेगौड़ा को संयुक्त मोर्चे का नेता घोषित कर दिया गया और वे प्रधानमंत्री नियुक्त हो गए। लेकिन कांग्रेस की नीतियों के मनोनुकूल नहीं चल पाने के कारण देवगौड़ा को अप्रैल 1997 में अपने प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा था।
 
विशेष बातें : 1975-76 में आपातकाल के दौरान इन्हें जेल में बंद रहना पड़ा था। जब वे 1991 में हासन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद के रूप में चुने गए तब उन्होंने राज्य की समस्याओं विशेष रूप से किसानों की समस्याओं के निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 
देवेगौड़ा ने किसानों की दुर्दशा के बारे में संसद में स्पष्ट रूप से अपने विचार व्यक्त किए जिसके लिए सभी ने उनकी खूब प्रशंसा की। संसद और इसके संस्थानों की प्रतिष्ठा और गरिमा बनाए रखने के लिए भी सभी ने उनकी खूब तारीफ की थी। उनके राजनीतिक अनुभव और निचले तबके के लोगों तक उनकी गहरी पैठ ने राज्य की समस्याओं से निपटने में उनकी मदद की।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गुलजारीलाल नंदा : सादगीपसंद गांधीवादी राजनेता