क्या हैं महामंडलेश्वर बनने के नियम और योग्यता, किस परीक्षा से गुजरने के बाद मिलता है ये पद?

WD Feature Desk
सोमवार, 27 जनवरी 2025 (12:18 IST)
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों को लेकर काफी चर्चा है साथ ही लोगों के मन में अखाड़ों में महामंडलेश्वर के पद को लेकर भी जिज्ञासा है। आखिर क्या होती है महामंडलेश्वर की पदवी और किसे मिलती है यह? क्या इसके लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत होती है और क्या इसके लिए किसी परीक्षा में भी पास होना पड़ता है आइये आज आपको इन्हीं सब सवालों के जवाब देते हैं।

असल में महामंडलेश्वर का पद बहुत वैभवशाली होता है। महामंडलेश्वर का जीवन त्याग से परिपूर्ण होता है। यह पदवी पाने के लिए पांच स्तरीय जांच, ज्ञान-वैराग्य की परीक्षा में खरा उतरना पड़ता है। पदवी मिलने के बाद तमाम प्रतिबंध से जीवनभर बंधकर रहना पड़ता है। उसकी अनदेखी करने पर अखाड़े से निष्कासित हो जाते हैं। आइये आज इस आलेख में इस विषय के बारे में विस्तार से जानते हैं।

थानापति के जरिए कराई जाती है पड़ताल
अखाड़ों से कोई व्यक्ति संन्यास अथवा महामंडलेश्वर की उपाधि के लिए संपर्क करता है तो उसे अपना नाम, पता, शैक्षिक योग्यता, सगे-संबंधियों का ब्योरा और नौकरी-व्यवसाय की जानकारी देनी होती है। अखाड़े के थानापति के जरिए उसकी पड़ताल कराई जाती है। थानापति की रिपोर्ट मिलने पर अखाड़े के सचिव व पंच अलग-अलग जांच करते हैं। कुछ लोग संबंधित व्यक्ति के घर जाकर परिवारीजनों व रिश्तेदारों से संपर्क करके सच्चाई का पता करते हैं। जहां से शिक्षा ग्रहण किए होते हैं उस स्कूल-कालेज भी संतों की टीम जाती है।

स्थानीय थाना से जानकारी मांगी जाती है कि कोई आपराधिक संलिप्तता तो नहीं है। इसकी जांच पुलिस से कराई जाती है। समस्त रिपोर्ट अखाड़े के सभापति को दी जाती है। वह अपने स्तर से जांच करवाते हैं। फिर अखाड़े के पंच उनके ज्ञान की परीक्षा लेते हैं। उसमें खरा उतरने पर महामंडलेश्वर की उपाधि देने का निर्णय होता है।

होनी चाहिए यह योग्यता
महामंडलेश्वर का पद जिम्मेदारी वाला है। इसके लिए शास्त्री, आचार्य होना जरूरी है, जिसने वेदांग की शिक्षा हासिल कर रखी हो, अगर ऐसी डिग्री न हो तो व्यक्ति कथावाचक हो, उसके वहां मठ होना आवश्यक है। मठ में जनकल्याण के लिए सुविधाओं का अवलोकन किया जाता है।
देखा जाता है कि वहां पर सनातन धर्मावलंबियों के लिए विद्यालय, मंदिर, गोशाला आदि का संचालन कर रहे हैं अथवा नहीं? अगर अपेक्षा के अनुरूप काम होता है तो पदवी मिल जाती है। वहीं, तमाम डॉक्टर, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी, इंजीनियर, वैज्ञानिक, अधिवक्ता व राजनेता भी सामाजिक जीवन से मोहभंग होने पर संन्यास लेते हैं। ऐसे लोगों को अखाड़े महामंडलेश्वर बनाते हैं। इनके लिए संन्यास में उम्र की छूट रहती है। वह दो-तीन वर्ष तक संन्यास लिए रहते हैं तब भी महामंडलेश्वर बनाए जाते हैं।

ALSO READ: कौन हैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, कैसे तय किया किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर बनने का सफर
 
रहती है यह पाबंदी


Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

शनि और मंगल का नवपंचम योग, 3 राशियों के लिए रहेगा बेहद शुभ

होली पर 8 दीपक जलाकर जीवन को महका और चमका देंगे, धन की समस्या होगी समाप्त

यूपी के इस गांव से शुरुआत हुई थी होली की, आज भी है 5 हजार वर्ष पुराना मंदिर

March Horoscope 2025 : मासिक राशिफल मार्च 2025, जानें 12 राशियों के लिए क्या होगा खास

होली से पहले बृज में मनाई जाती है फुलेरा दूज, जानिए राधा कृष्ण के प्रेम से क्या है सम्बन्ध

सभी देखें

नवीनतम

प्रयागराज महाकुंभ में यह नाविक परिवार बना महानायक, 130 नावों के जरिए कमाए 30 करोड़ रुपए

कुंभ से वापसी पर क्या है लोगों की बीमारी का कारण? जानिए उपचार के तरीके

महाकुंभ के समापन के बाद पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने किया संगम स्नान

योगी बोले, महाकुंभ 2025 ने पूरी दुनिया को एक भारत श्रेष्ठ भारत का दिया संदेश

प्रयागराज महाकुंभ के दौरान कितनी ट्रेनों का हुआ संचालन, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिया यह जवाब

More