मैं पटनायक के महान मूल्यों का स्वाभाविक उत्तराधिकारी : पांडियन

कहा- भाजपा ने उड़िया अस्मिता को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 2 मई 2024 (20:32 IST)
Former IAS VK Pandian on Naveen Patnaik: अपने विरोधियों द्वारा 'बाहरी' कहे जाने से अप्रभावित, बीजू जनता दल नेता वीके पांडियन ने कहा है कि वह ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के सभी महान मूल्यों के 'स्वाभाविक उत्तराधिकारी' हैं और अपने 'गुरु' की मदद के लिए वह हरसंभव काम करेंगे।
 
पटनायक के सबसे करीबी सहयोगी माने जाने वाले पांडियन ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उसने मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद 'उड़िया अस्मिता' या राज्य की भाषा, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया है। ALSO READ: ओडिशा में क्यों छिड़ी लुंगी बनाम धोती की बहस, क्या है इसका नवीन पटनायक कनेक्शन?
 
नवीन बाबू मेरे गुरु : यहां पटनायक के आवास पर एक वीडियो साक्षात्कार में पांडियन (49) ने कहा कि मैं नवीन बाबू को अपना गुरु कहता हूं और मैं उनका शिष्य हूं। पांडियन ने कहा कि वह सिर्फ एक पैदल सैनिक हैं और बीजू जनता दल (बीजद) के कोई पदाधिकारी भी नहीं हैं, लेकिन वह पटनायक के बहुत बड़े प्रशंसक हैं।
 
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी ने पिछले साल पार्टी में शामिल होने के लिए नौकरी छोड़ दी थी। उससे पहले वह मुख्यमंत्री के निजी सचिव के रूप में काम कर रहे थे।
 
यह पूछे जाने पर कि उन्हें पटनायक (77) के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है, पांडियन ने कहा कि मैं नवीन पटनायक के सभी महान मूल्यों का स्वाभाविक उत्तराधिकारी हूं, चाहे यह उनकी बेदाग ईमानदारी हो, ओडिशा के लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हो, उनकी कड़ी मेहनत, समय की पाबंदी, ईमानदारी, हर चीज। ALSO READ: PM मोदी ने नवीन पटनायक को बताया मित्र, BJP और BJD की दोस्ती पर क्या बोली कांग्रेस?
 
ओडिशा के लोग मुझे बाहरी नहीं मानते : ओडिशा में ‘बाहरी’ होने के भाजपा के आरोप पर पांडियन ने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक कारणों से मुझे बाहरी कहती है, ओडिशा के लोग ऐसा नहीं कहते हैं। पांडियन का जन्म तमिलनाडु में हुआ और उन्होंने दिल्ली में पढ़ाई की और पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया। बाद में एक उड़िया महिला से शादी करने के बाद वह ओडिशा कैडर में स्थानांतरित हो गए।
 
उन्होंने कहा कि मैंने 25 साल तक ओडिशा में काम किया है। ओडिशा के लोग मुझे अपनों में से एक के रूप में देखते हैं। अन्यथा वे इस चिलचिलाती धूप में इतनी बड़ी संख्या में बाहर क्यों आते, मेरे करीब आने की कोशिश क्यों करते। उन्होंने अपनी रैलियों और सार्वजनिक बैठकों में जुटने वाली भारी भीड़ के संदर्भ में यह टिप्पणी की। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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