श्रीजेश को टीम ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर हरमनप्रीत ने कंधे पर उठाकर दी विदाई

WD Sports Desk
गुरुवार, 8 अगस्त 2024 (22:05 IST)
अपना अंतिम हॉकी मैच पेरिस ओलंपिक के ब्रॉंज मेडल मैच में खेल रहे श्रीजेश को भारतीय टीम ने ना केवल गार्ड ऑफ ऑनर दिया बल्कि कप्तान हरमनप्रीत ने उनको कंधे पर भी उठा लिया। श्रीजेश ने पूरे ओलंपिक में बेहतरीन बचाव किए और ब्रॉंज मेडल मैच में 9 पेनल्टी कॉर्नर बचाए।

तोक्यो की कहानी को पेरिस ओलंपिक में दोहराते हुए भारतीय हॉकी टीम ने कप्तान हरमनप्रीत सिंह के दो गोल की मदद से स्पेन को 2 . 1 से हराकर देश के लिये और अपने सुनहरे कैरियर पर विराम लगाने वाले पी आर श्रीजेश के लिये कांस्य पदक जीता ।

जीत के बाद श्रीजेश को कंधे पर बिठाकर मैदान का चक्कर लगाने वाले कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ टीवी के सामने नजरें गड़ाये बैठे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई । ओलंपिक पदक के साथ विदा लेने वाले श्रीजेश जीत के बाद गोलपोस्ट के ऊपर जाकर बैठे तो अपने जज्बात पर काबू नहीं रख सके ।
 

जर्मनी के हाथों सेमीफाइनल में मिली हार का गम भुलाकर डेढ दिन बाद भारतीय टीम फिर युवेस डु मनोइर स्टेडियम पर उतरी तो हर खिलाड़ी का एक ही लक्ष्य था कि खाली हाथ नहीं लौटना है । एक गोल से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए भारत ने दूसरे और तीसरे क्वार्टर में गोल करके न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि पेरिस ओलंपिक में कल पहलवान विनेश फोगाट को फाइनल से पहले अयोग्य करार दिये जाने से देश भर में छाई मायूसी को दूर करने का प्रयास भी किया ।

इस जीत के साथ ही भारत के लिये 336 मैच खेलने वाले महान गोलकीपर श्रीजेश ने भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया । भारतीय टीम के लिये हरमनप्रीत सिंह ने (30वें, 33वें मिनट) जबकि स्पेन के लिये मार्क मिरालेस (18वां मिनट) ने गोल दागे ।

आठ बार की चैम्पियन भारतीय पुरूष हॉकी टीम का यह 13वां ओलंपिक पदक है और पचास साल बाद लगातार दो ओलंपिक में पदक जीते हैं । इससे पहले 1968 में मैक्सिको और 1972 में म्युनिख ओलंपिक में भारत ने कांस्य जीता था ।

 भारत के महान गोलकीपरों में शुमार पी आर श्रीजेश ने लगातार दूसरा ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास के अपने फैसले को बदलने की संभावना से इनकार करते हुए कहा ,‘‘ यह विदा लेने का सही समय है ।’’

श्रीजेश ने स्पेन को कांस्य पदक के मुकाबले में 2 . 1 से हराने के बाद कहा ,‘‘ मुझे लगता है कि ओलंपिक खेलों से विदा लेने का यह सही तरीका है, एक पदक के साथ । हम खाली हाथ घर नहीं जा रहे जो बड़ी बात है ।’’

उन्होंने मैच के बाद कहा ,‘‘मैं लोगों की भावनाओं का सम्मान करता हूं लेकिन कुछ फैसले कठिन होते हैं । सही समय पर फैसला लेने से हालात खूबसूरत हो जाते हैं । इसलिये मेरा फैसला नहीं बदलेगा ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है और इस मैच को इतना यादगार बना दिया ।’’

तोक्यो में 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे श्रीजेश ने कहा ,‘‘ तोक्यो में मिले पदक की मेरे दिल में खास जगह है । इससे हमें आत्मविश्वास मिला कि हम ओलंपिक में पदक जीत सकते हैं ।’<>

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